स्टाम्प विक्रेतायो के माध्यम से भी जमा होगा पंजीयन शुल्क

बाड़मेर।
मुद्रांक एवं पंजीयन शुल्क अब स्टाम्प विक्रेताओं के माध्यम से भी जमा कराया जा सकता है। प्रदेश के स्टाम्प वेंडर्स को अब ई-स्टाम्पिंग का लाइसेंस जारी किया जा रहा है। इसके बाद पक्षकार उप पंजीयक कार्यालय की बजाय स्टाम्प विक्रेता को ही संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए मुद्रांक शुल्क जमा करा सकेंगे।
जिला कलक्टर मधुसूदन शर्मा ने बताया कि सरकार की एसीसी योजना के तहत स्टाम्प विक्रेताओं को ई-स्टाम्पिंग के तहत मुद्रांक शुल्क जमा कराने के लिए अधिकृत किया जा रहा है। इससे आमजन को मुद्रांक एवं पंजीयन शुल्क जमा कराने में आसानी होगी और दस्तावेजों की रजिस्ट्री में भी समय कम लगेगा। उन्हांेने बताया कि सम्पत्तियों की रजिस्ट्री के लिए मुद्रांक एवं पंजीयन शुल्क चुकाने के लिए स्टाम्प पेपर अथवा ई-स्टाम्पिंग का विकल्प मौजूद है। मौजूदा समय मंे पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग के प्रदेश में स्थित 168 उप पंजीयक कार्यालयों और 52 बैंकों के माध्यम से ई-स्टाम्पिंग के तहत मुद्रांक शुल्क जमा कराने की व्यवस्था है। पक्षकारों को अधिक सहूलियत देने के लिए अब विभाग की ओर से अधिकृत कलेक्शन सेंटर (एसीसी) खोलने की प्रक्रिया के तहत स्टाम्प विक्रेताओं को ई-स्टाम्पिंग का लाइसेंस दिया जा रहा है। लाइसेंसधारक स्टाम्प विक्रेता अपने कम्प्यूटर अथवा लेपटॉप के माध्यम से मुद्रांक शुल्क व पंजीयन शुल्क जमा कर सकेंगे। इसके बाद हाथो हाथ उसकी रसीद पक्षकार को उपलब्ध कराएंगे।
शुल्क के रूप में जमा होते है करोड़ो रूपएः 
पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग में प्रत्येक वर्ष लगभग साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए मुद्रांक एवं पंजीयन शुल्क के रूप में जमा होते हैं। स्टाम्प विक्रेता एक ंरजिस्ट्री के लिए 50 हजार रुपए से अधिक मूल्य के स्टाम्प पेपर नहीं बेच सकते है। ऐसे मंे अब वे ई-स्टाम्पिंग के माध्यम से जरूरत के अनुसार मुद्रांक शुल्क जमा कर सकेंगे।

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