विश्व पर्यावरण सप्ताह का आगाज ,सप्ताह भर होगे कई आयोजन 
बाड़मेर 
" पर्यावरण सुधार के प्रति हमारी अनिच्छा ने स्थितियों को विस्फोटक बना दिया है। जलवायु परिवर्तन, बढ़ता शहरीकरण व विष युक्त खेती ने इस समस्या को और भी गंभीर बना दिया है। मानव पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां एवं जीव जंतु प्रमुख घटक माने गये हैं। हमारे देश में इन सभी घटकों की हालत बिगड़ चुकी है एवं सभी में प्रदूषण का जहर फैल गया है । अध्ययनों का भी यही निष्कर्ष है कि देश में पर्यावरण की हालत काफी बिगड़ चुकी है। पर्यावरण अब स्वास्थ्यवर्धक न रहकर रोगजन्य हो गया है। वायु जीवन के लिए आवश्यक है परंतु देश के महानगरों के अलावा छोटे शहर भी वायु प्रदूषण के केन्द्र बन गये हैं। जल, पर्यावरण का दूसरा महत्वपूर्ण घटक है परंतु देश में इसकी स्थिति, मात्रा एवं गुणवत्ता दोनों स्तर पर बिगड़ी है। " यह कहना हें बाड़मेर नगर परिषद सभापति लूणकरण बोथरा का , सभापति ऩे यह बात स्थानीय रामुबाई विधालय में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ,सीसीडीयू ,मार्डन आर्ट थियेटर संस्थान सयुक्त तत्वाधान में आयोजित के विश्व पर्यावरण सप्ताह के आगाज पर कही. उन्होंने कहा कि भूमि भी पर्यावरण में अहम है परंतु हमारे कृषि प्रधान देश में भूमि की हालत भी काफी बिगड़ गई है। भारतीय कृषि शोध संस्थान की एक रिपोर्ट अनुसार देश की कुल 150 करोड़ हेक्टर खेती योग्य भूमि में से लगभग 12 करोड़ की उत्पादकता काफी घट गई है एवं 84 लाख हेक्टेयर जलभराव व खारेपन की समस्या से ग्रस्त है। 
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधीक्षण अभियंता नेमाराम परिहार ने बताया कि रामुबाई विधालयजन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ,सीसीडीयू ,मार्डन आर्ट थियेटर संस्थान सयुक्त तत्वाधान विश्व पर्यावरण सप्ताह की शुरुवात पौधरोपण कार्यक्रम से हुई . इसके बाद बच्चो से रूबरू होकर कार्यक्रम के कई अतिथियों ने बच्चो को सम्बोधित किया। बच्चों को सम्बोधित करते हुई पूर्व नगरपालिका प्रतिपक्ष नेता मुकेश जैन ऩे कहा कि विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां एवं जंतु जैव विविधता स्थापित करते हैं एवं हमारा देश दुनिया के उन 12 देशों में प्रमुख है, जो जैवविविधता के धनी हैं। पश्चिमी घाट एवं हिमालयीन क्षेत्र के साथ- साथ सुंदरबन एवं मन्नार खाड़ी अपनी अपनी जैव- विविधता के कारण दुनिया भर में मशहूर है। थलीय क्षेत्र में 80 प्रतिशत जैवविविधता वनों में पायी जाती है परंतु वनों का क्षेत्र सिकुड़ता जा रहा है। देश के 33 प्रतिशत भूभाग पर वन होना चाहिए परंतु हैं केवल 25 प्रतिशत भाग पर ही। इस 21 प्रतिशत में से केवल 02 प्रतिशत ही सघन वन हैं, 10 प्रतिशत मध्यम स्तर के एवं 09 प्रतिशत छितरे वन हैं। देश में प्रति व्यक्ति वन का क्षेत्र 0.11 हेक्टेयर है जबकि विश्व अनुपात अनुसार यह 0.80 हेक्टेयर होना चाहिये। वरिष्ठ शिक्षाविद डाक्टर बी डी तातेड ऩे इस मोके पर कहा कि देश के लगभग 20 प्रतिशत जंगली पौधे व जीव विलुप्ति की ओर अग्रसर हैं। 6 लाख से ज्यादा गांवों में लगभग 50-60 वर्ष पूर्व 20 करोड़ के लगभग गाय, बैल थे, परंतु अब इनकी संख्या भी काफी घट गई है। देश के कत्ल कारखानों में हजारों पशु एवं पक्षियों को काटकर उनका मांस निर्यात किया जा रहा है। देश में जब कानून व्यवस्था बिगड़ने लगती है एवं जनता की शांति भंग होने का खतरा पैदा हो जाता है तब आपातकाल लगाया जाता है। ठीक इसी प्रकार देश के पर्यावरण की हालत भी काफी बिगड़ गई है एवं जनता के लिए वह रोगजन्य होता जा रहा है।इस मोके पर सी सी डी यू के आई ई सी कंसल्टेंट अशोकसिंह राजपुरोहित मिशन बाड़मेर जैसलमेर के जितेंद्र सिंह सेतराउ ,कवि गौतम, साहित्यकार कमल शर्मा राही ,धारा संस्थान के महेश पनपालिया , गोरधन सिंह जहरीला और गोपीकिशन शर्मा ऩे भी बच्चों को संबोधित किया . 
कागज पर उकेरे पर्यावरण के रंग बाड़मेर 
विश्व पर्यावरण दिवस पर स्थानीय रामुबाई विधालय में शुरू हुए विश्व पर्यावरण सप्ताह के पहले दिन में जल को सहेजे कल को सहेजे विषय पर आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमे 50 से अधिक बच्चों ऩे अपनी प्रतिभा का परिचय दिया .सीसीडीयू के आईईसी कंसल्टेंट अशोक सिंह राजपुरोहित ऩे बताया कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ,सीसीडीयू ,मार्डन आर्ट थियेटर संस्थान सयुक्त तत्वाधान में इस खास सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है जिसमे इस सप्ताह का पहला दिन कुदरत की जुबान बनते रंग - बिरंगे रंगों के नाम रहा . बच्चों ऩे जल को सहेजे कल को सहेजे विषय पर अपनी कल्पनाओ की उड़ान को केनवास पर उतरा . बच्चों ऩे रंगों से कागज पर उकेरी पर्यावरण को उसके रंग लौटाए, फैक्ट्रियों का गंदा जल, कूड़ा कचरा नदियों में न डालें, जल दूषित होने से बचाव के लिए उनमें कपडे़ न धोएं, वृक्षों को न काटें और अधिकाधिक वृक्ष लगाएं, जल बचायें जीवन बचायें, वातावरण शुद्ध बनाएं, पोलीथिन बंद करें-गाय माता को बचाएं संदेश प्रधान चित्र कृतियों से सभी को प्रभावित किया। बिजली की बचत करें, जल की बर्बादी न करें जैसे प्रभावी संदेश भी दिए। शनिवार की रोज इस विधालय में निबंध प्रतियोगिता का आयोेजन किया जायेगा।

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