Displaying 103.jpgआचार्य श्री विमलसागर सूरीश्वर की चार दिवसीय प्रवचन माला सम्पन्न
बाड़मेर 
राष्ट्र संत आचार्य श्री पदमसागर सूरीश्वर के विद्वान शिष्य, जाने-माने ओजस्वी प्रवचनकार, क्रांतिकारी विचारक, युवक जागृति के प्रेरक आचार्य श्री विमलसागर सूरीश्वर ने अपनी चार दिवसीय प्रवचन माला के अंतिम दिन स्थानीय साधना भवन में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि अहिंसा शुद्ध व सात्विक भावों की गंगोत्री है। भगवान महावीर ने अहिंसा को धर्म का प्राण कहा है। अहिंसा और नैतिकता के बिना धर्म का अस्तित्व अकल्पनीय है।
उन्होनें कहा कि अहिंसक मनुष्य ही नैतिक हो सकता है तथा नैतिकता के सिद्धांत ही अहिंसा को जिला सकते हैं। दुर्भाग्य से आज अहिंसा और नैतिकता दोनों में कमी आ रही है। संसार के दुःख-दर्द का यही मूल कारण है।
उन्होनें आगे कहा कि अंगुली तो किसी पर भी उठ सकती है, पर वह नैतिक मनुष्य पर टिकती नहीं है। दुर्जन से दूरी बनाकर ही सज्जन शांति से जी सकता है। दुर्जन का स्वभाव होता है गंदगी में मुंह डालना, जबकि सज्जन का धर्म है शांति पूर्वक सन्मार्ग पर आगे बढ़ना। जो आगे बढ़ने में असफल हो जाते हैं वे अक्सर द्वेष व ईष्र्यावश राह के किनारे खड़े रहकर आगे बढ़ने वालों पर पत्थर बरसाया करते हैं। जो बेईमान होते हैं, वे अक्सर गलत रास्तों और गलत बातों का सहारा लेते हैं। ईमानदार को सही रास्ते पर टिके रहना चाहिए।
दुर्जनों के कारण अब धर्म और समाज राजनीति के अखाड़े बन गए हैं। सज्जनों को संगठित होकर धर्म और समाज की रक्षा करनी होगी। घबराने से काम नहीं चलेगा। यदि आज हम अपना कुछ भी दांव पर नहीं लगाते हैं तो एक दिन अपना सब-कुछ दांव पर लग सकता है।
उन्होनें कहा कि गलत शक्तियों से संघर्ष करने का माद्दा खड़ा करना होगा। समाज के विकास में गलत शक्तियां सबसे बड़ी बाधा है। समाज के कुछ लोग सदैव मनमानी, अभिमान, बेईमानी और भ्रष्टाचार पूर्वक समाज का शोषण करते आए हैं। इनसे निजात पाने के लिए संगठित व जागृत होने की आवश्यकता है। दुर्जन की दया भी बुरी होती है। उसकी बजाय सज्जन यदि त्रास भी देते हैं तो उसे सह लेना चाहिए। साधु-संत समाज का वैभव हैं। साधु-संतों के बिना नैतिक-चारित्रिक उत्थान मुश्किल है। धर्म जागरण में साधु-संतों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जो समाज साधु-संतों से दूर जाता है, वह सद्भाग्य से भी दूर हो जाता है।
जैन श्री संघ के अध्यक्ष सम्पतराज बोथरा ने बताया कि बाड़मेर की जनता को पहली बार समसामयिक विषयों पर निराले अंदाज में क्रांतिकारी विचार सुनने को मिले। आचार्य विमलसागरसूरीश्वर 26 मार्च को प्रातः बाड़मेर से सिणधरी के लिए प्रस्थान करेंगे। अगले दिन 27 मार्च को प्रातः 10 बजे सिणधरी में उनके प्रवचन का आयोजन किया गया है। चार दिन के प्रवास में बाड़मेर में महोत्सव जैसा माहौल बना। दिन-रात साधना भवन में भक्तजनों, विशेषकर युवाओं का मेला लगा रहा।बोथरा ने बताया कि प्रवचन के बाद संघ प्रभावना का लाभ भूरचन्द धनराज वडेरा परिवार ने लिया।
भगवान महावीर स्वामी के 2614वें जन्म कल्याणक महोत्सव के बैनर का हुआ विमोचन-
अहिंसा के अवतार, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के 2614वें जन्म कल्याणक महोत्सव के बैनर का आज आचार्य विमलसागरसूरीश्वर एवं मुनिवर्य पद्मविमलसागर आदि की पावन निश्रा में एवं जैन श्री संघ के अध्यक्ष सम्पतराज बोथरा तथा जन्म कल्याणक महोत्सव समिति के संयोजक रतनलाल बोहरा एवं जैन श्री संघ की प्रतिनिधि सभा के सदस्यों द्वारा आज साधना भवन में बैनर का विमोचन किया गया।

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