दादावाड़ी की तृतीय वर्षगांठ का ध्वजारोहण हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न

दो दिवसीय मंगल कार्यक्रमों का हुआ आयोजन, दादावाड़ी परिसर को रोशनी एवं फूलों से सजाया

बाड़मेर। पाश्र्वमणि तीर्थ प्रेरिका पूज्य सुलोचनाश्री की विदुषि सुशिष्या मधुर भाषी, प्रखर व्याख्यात्री, साध्वीरत्ना प्रियरंजनाश्री की पावन निश्रा में एवं साध्वी डाॅ. दिव्यांजनाश्री, साध्वी शुभांजनाश्री आदि ठाणा के पावन सानिध्य में धोलका स्थित दादा जिनदत्त दादावाड़ी की तृतीय वर्षगांठ पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ।

दादावाड़ी ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेश पारख ने बताया कि ध्वजारोहण के दो दिवसीय मंगल कार्यक्रम के प्रथम दिवस सुबह 9.30 बजे अठारह अभिषेक का आयोजन साध्वीवर्या की पावन निश्रा में एवं विधिकारक के निर्देशन में एवं संगीतकार की स्वर लहरियों में सम्पन्न हुआ तथा रात्रि में संगीतकार रूपेश भाई अहमदाबाद एण्ड पार्टी द्वारा संगीत की रमझट जमाई। इस दौरान दादावाड़ी परिसर को रोशनी एवं रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया था।

मंगल कार्यक्रम के दूसरे दिन यानि ध्वजारोहण के दिन प्रातः 8 बजे सतरह भेदी पूजन के आयोजन के लाभार्थी प्रतापमल कुमारपाल कांकरिया परिवार ने साध्वीवर्या की निश्रा तथा विधिकारक किरीट भाई बडोड़ा द्वारा विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चार द्वारा करवाया गया। तत्पश्चात् 10 बजे दादा गुरूदेव के महापूजन का लाभ सरोजबेन नानूभाई मुम्बई परिवार द्वारा साध्वीवर्या की निश्रा में एवं विधिकारक के निर्देशन एवं मंत्रोच्चार द्वारा तथा संगीतकार की स्वर लहरियों के साथ सम्पन्न हुआ। महापूजन में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा तथा महापूजन में सभी नाचते-गाते नजर आए। इसके बाद नूतन ध्वजा लाभार्थी भूपतराज पारसमल काटेड़ परिवार की महिलाओं ने ध्वजा को चांदी की थाली में रखकर सिर पर धारण कर ढोल-ढमाके तथा गाजे-बाजे के साथ साध्वीवर्या की निश्रा में दादावाड़ी परिसर में पहुंचकर तथा वहां गुरू वंदन कर साध्वीवर्या द्वारा नूतन ध्वजा पर अभिमंत्रित वासक्षेप डालकर लाभार्थी परिवार द्वारा दादा गुरूदेव की प्रतिमा की प्रतिमा के पीछे तीन प्रदक्षिणाएं देकर ओम पुण्याम, ओम प्रियताम् प्रियतम् के मंत्रोच्चार द्वारा जयकारे के साथ विजय मुहूर्त 12.39 बजे साध्वीवर्या प्रियरंजनाश्री के मुखारबिंद से मंगलाचरण एवं मंत्रोच्चार द्वारा ध्वजा लाभार्थी परिवार द्वारा चढ़ाई गई। इस दौरान श्रद्धालु परिसर में झूमते-नाचते खुशी से सराबोर हो उठे।

इस अवसर पर धर्म सभा का आयोजन पूज्य साध्वीवर्या के मंगलाचरण से शुरू हुआ। तत्पश्चात् धर्म सभा में वार्षिक चढ़ावे बोले गए जिसमें श्रद्धालुओं ने विगत् वर्षों से अधिक बढ़-चढ़कर बोले। इस अवसर पर कलिकुण्ड तीर्थ में विराजित अनेक साधु, साध्वी भगवंतों की पावन निश्रा एवं मंगल आशीर्वाद रहा।

धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए साध्वीवर्या प्रियरंजनाश्री ने कहा कि व्यक्ति एक संवेदनशील प्राणी है, वह अच्छे लोगों के सम्पर्क में रहने से उन लोगों की अच्छाई से प्रभावित बन जाता है। साधु की संगत से सद्गुणों का वास होता है। जैसी संगत होती है वैसा ही व्यक्ति का मन होता है। सब मिलना सुलभ है पर सत्संग मिलना दुर्लभ है। सत्संग अमृत बिन्दु है उससे जीवन को एक नई दिशा, एक नई रोशनी मिलती है।

साध्वी दिव्यांजनाश्री ने कहा कि उच्च गति, मानव जीवन हर प्रकार की सुविधा प्राप्त करने के लिए सत्संग सबसे बड़ा द्वार है। साध्वी शुभांजनाश्री ने कहा कि सत्संग के द्वारा ही आत्मा का बोध जागृत होता है, विवेक का विकास होता है, अनंत दुःखों से भव पार होता है। संत, साधु, साध्वी का सत्संग स्वर्ग के समान है।

ध्वजारोहण के दिन सतरह भेदी पूजा एवं नाश्ते का लाभ प्रतापमल कुमारपाल कांकरिया परिवार, दादा गुरूदेव के महापूजन का लाभ सरोजबेन नानूभाई मुम्बई परिवार तथा स्वामी वात्सल्य का लाभ ध्वजा के लाभार्थी परिवार भूपतराज पारसमल काटेड़ परिवार द्वारा लिया गया जिसका ट्रस्ट मण्डल द्वारा बहुमान किया गया।

इस अवसर पर नरेश पारख, शेरमल मालू, वंशराज भंसाली, पवन पारख, मोतीचन्द झाबक, नरेन्द्र झाबक, भूपत काटेड़, शांतिलाल संचेती, जयंतीलाल डागा, दिनेश कोठारी, चम्पालाल मण्डोवरा सहित अहमदाबाद, बडोड़ा, सूरत, मुम्बई, बाड़मेर, रेणीगुण्टा, चेन्नई इत्यादि क्षेत्रों से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने ध्वजारोहण कार्यक्रम में भाग लिया।

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