बाड़मेर थार और थोर को बचाना है- डाॅ. ललित के. पंवार
बाड़मेर 
इसी धरती पर जाये-जन्मे भारत सरकार के पर्यटन सचिव डाॅ. ललित के. पंवार ने स्थानीय कलिंगा होटल में बाड़मेर जिला पर्यटन विकास परिषद् एवं इण्टेक चैप्टर, बाड़मेर द्वारा आयोजित गोष्ठी में ये उद्गार प्रकट किए ‘थार और थोर को कोई ठौर नहीं है। अब हमें इसके लिए कुछ करना होगा।’ गोष्ठी में बाड़मेर जिला पर्यटन विकास परिषद् के सदस्यों द्वारा बाड़मेर में पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु एक छः सूत्री प्रस्ताव डाॅ. पंवार को दिया गया जिसे डाॅ. पंवार ने बड़े ध्यान से पढ़ते हुए उपस्थित प्रत्येक सदस्य से पर्यटन विकास हेतु व्यक्तिगत सुझाव मांगे। ताराचंद जाटोल ने गौवंश के संवर्धन हेतु सुझाव दिया तथा गोपाल गौशाला को पर्यटन से जोड़ने पर बल दिया। पुरूषोत्तम खत्री ने बाड़मेर शहर के आसपास एक ‘एथनिक क्राफ्ट एण्ड कल्चरल विलेज’ की जीवंत प्रतिकृति स्थापित करने का सुझाव दिया। जसराज खत्री ने जसाई हिंगलाज माता मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से सूचीबद्ध करने का भी प्रस्ताव रखा।

इण्टेक चैप्टर, बाड़मेर के सह संयोजक संजय रामावत ने मल्टीनेशनल कम्पनियों के सी.एस.आर. से पर्यटन, कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग हेतु अधिकारियों से अनुरोध करने का सुझाव दिया। सत्यदेव सोनी ने थार के अनेक विलुप्त हो रहे औषधीय पौधों को संरक्षित कर आयुर्वेद एवं योग चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने का सुझाव दिया। किशनलाल सिंधी ने सुझाव दिया कि बाड़मेर के रेलवे स्टेशन से आधा किलोमीटर के क्षेत्र को पूर्णतः साफ-सुथरा तथा आकर्षक बनाया जाए आने वाले पर्यटकों के मन में शहर की आकर्षक छवि बने। प्रकाश शर्मा ने सुझाव दिया कि जिले में अनेक पुरातात्विक महत्व के स्थान मौजूद हैं किन्तु अभी तक उन्हें विकसित नहीं किया गया है। लगभग 150 स्थानों की सूची उनके पास है जिन्हें अगर पर्यटन नक्शे से जोड़ा जाए तो पर्यटन उद्योग को बहुत लाभ मिलेगा।

इस अवसर पर इण्टेक संयोजक यशोवर्धन शर्मा ने कहा कि जिले में स्थापत्य शिल्प, लोक-कला एवं संस्कृति संग्रहालय के विकास हेतु प्रयास किया जाए तथा डी.एन.पी. क्षेत्र में इको टूरिज्म को सम्बन्धित विभागों के सहयोग से बढ़ावा दिया जाए। चुन्नीलाल खत्री ने पर्यटन विकास हेतु विस्तृत परियोजना रिपोर्ट सरकार द्वारा बनवाने का आग्रह किया।

इस अवसर पर मांगीलाल वडेरा, ओमप्रकाश मुथा, तनसिंह चैहान, चम्पालाल जैन, जोगेन्द्रसिंह चैहान, माधुसिंह राजपुरोहित इत्यादि ने भी अपने विचार एवं सुझाव रखे।

डाॅ. पंवार ने सारे सुझावों को ना सिर्फ ध्यान पूर्वक सुना बल्कि उन्हें लिखकर इसकी विस्तृत रिपोर्ट बनवाकर उस पर अमल करने का भरोसा दिया। डाॅ. पंवार ने अपने चिर परिचित अंदाज में कहा कि अब ‘मामे रो ब्याह और मां पुरसण वाली’ बात भूतकाल में रह गई है तथा ‘भागोड़ों ऊंट ओडे सामों नी जोवेला’ बल्कि ऊंट की टांग सही होगी और ओडा भी ऊंट के पास आएगा। उन्होनें विस्तार पूर्वक थार की परम्पराओं का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे जैसी परम्परा, सभ्यता, आवभगत दुनिया में कहीं नहीं है। इस थार धरती की विविध रंगों की सभ्यता, संस्कृति और इतिहास तथा रेतीले टीबों का आकर्षण दुनिया के सारे लोगों को आकर्षित करता है। उन्होनें आगे कहा कि जिला प्रशासन और समस्त अधिकारी पर्यटन विकास हेतु पूरी मदद करेंगे और हम सब मिलकर इस जिले को पर्यटन की दृष्टि से विश्व के नक्शे पर महत्वपूर्ण स्थान दिलाएंगे।

इससे पूर्व सर्किट हाउस में शिल्पी संस्थान के अध्यक्ष प्रकाश शर्मा को अनौपचारिक बातचीत में उन्होनें कहा कि उनका राजस्थान में मुख्य शासन सचिव बनना लगभग तय था किन्तु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनकी डेढ़ घंटे चली व्यक्तिगत मुलाकात में पर्यटन क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ से प्रभावित होकर भारत सरकार के पर्यटन सचिव के रूप में पदस्थापित किया।

अंत में सभी ने डाॅ. ललित के. पंवार का आभार व्यक्त करते हुए जिले में पर्यटन क्षेत्र में नई आशा और संचार के एहसास के साथ गोष्ठी का समापन किया गया।

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