रिफाइनरी के लिए शर्तें बदलने की तैयारी में राजस्थान सरकार!
राजस्थान के बाड़मेर में प्रस्तावित तेल रिफाइनरी के लिए राजस्थान सरकार पहले हुए एमओयू की शर्तें बदलने की तैयारी कर रही है। राजस्थान सरकार ने रिफाइनरी के लिए वित्तीय सलाहकार नियुक्त करने का फैसला किया है और इसके लिए इच्छुक कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं। जिस सलाहकार कंपनी का चयन होगा, वह तीन माह में अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी।
सूत्रों के अनुसार राजस्थान में रिफाइनरी लगाने के लिए पिछली कांग्रेस सरकार हिन्दुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) के साथ एमओयू कर चुकी है। इसी के बाद पिछले वर्ष सितंबर में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसका शिलान्यास भी किया था, लेकिन प्रदेश में सरकार बदलने के बाद से इसका काम ठप पड़ा है क्योंकि मौजूदा भाजपा सरकार इस एमओयू को प्रदेश की आर्थिक स्थिति के लिए अच्छा नहीं मानती।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पिछले दिनों कहा था कि पिछली सरकार ने एचपीसीएल की ओर से नियुक्त वित्तीय सलाहकार की रिपोर्ट के आधार पर ही एमओयू कर लिया था। सरकार का अपना कोई सलाहकार नहीं था और यही कारण रहा कि ऐसी शर्तों पर एमओयू हो गया, जिसमें प्रदेश के आर्थिक हित प्रभावित हो रहे हैं इसलिए सरकार अब अपना सलाहकार नियुक्त कर फिर से यह जांच कराएगी कि रिफाइनरी का आर्थिक मॉडल कैसा हो और इससे प्रदेश को कितना फायदा हो सकता है?

यह करेगा सलाहकार

यह सलाहकार रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल प्रोजेक्ट की आर्थिक उपयोगिता का आकलन करेगा। रिफाइनरी के लिए सरकार की ओर से कंपनी को दिए जाने वाले ब्याज मुक्त कर्ज और अन्य आर्थिक सहयोग का आकलन करेगा। साथ ही यह भी देखेगा कि रिफाइनरी की स्थापना के लिए सबसे सही आर्थिक मॉडल कौन-सा हो सकता है और राजस्थान सरकार कैसे इस परियोजना से ज्यादा से ज्यादा फायदा ले सकती है? गौरतलब है कि एचपीसीएल ने इस परियोजना के लिए राजस्थान सरकार से 15 वर्ष तक 3736 करोड़ रुपए सालाना ब्याज मुक्त कर्ज की मांग की है।

बदलेंगी शर्तें तो अटकेगा काम

सूत्रों का कहना है कि सरकार की ओर से सलाहकार नियुक्त किए जाने से अब यह तय माना जा रहा है कि इस परियोजना की शर्तें बदलेंगी। बदली शर्तों पर कंपनी और सरकार की सहमति के बाद ही काम आगे बढ़ेगा। ऐसे में इसका काम शुरू होने में अब करीब छह से आठ माह का समय और लग सकता है।

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