जो जगाता है, आनंद देता है, आगे बढ़ाता है वह साहित्य - बैरागी
बांसवाड़ा, 
बांसवाड़ा के साहित्यकार भरतचन्द्र शर्मा के सद्य प्रकाशित काव्य संकलन ‘ सुनो पार्थ !’ का विमोचन मनासा(मध्यप्रदेश) में आयोजित कार्यक्रम में देश के, सुप्रसिद्ध एवं यशस्वी सर्वकालिक कवि बालकवि बैरागी ने किया। भारतीय ग्रंथ निकेतन, नई दिल्ली से प्रकाशित 131 पृष्ठों के इस काव्य संकलन में भरतचन्द्र शर्मा की56 श्रेष्ठ कविताएं समाहित हैं। इसकी भूमिका देश के यशस्वी साहित्यकार, आधुनिक हिन्दी कविता के अग्रणी हस्ताक्षर मंगलेश डबराल ने लिखी है।

अनुपम उपहार है काव्यकृति
इस मौके पर बालकवि बैरागी ने कृतिकार भरतचन्द्र शर्मा को बधाई दी एवं कृति को हिन्दी काव्य जगत के लिए अनुपम उपहार बताया। बैरागी ने आरंभिक अवलोकन के बाद काव्यकृति में समाहित ‘लड़कियाँ’ कविता को मर्मस्पर्शी एवं संवेदना से ओत-प्रोत बताया और कहा कि पूरी कृति अपने आप में काव्य वैविध्य और उत्कृष्ट सृजन का जीवंत प्रतीक है।

सृजनधर्मियों की श्रृंखला विस्तार पाए

बैरागी ने इस अवसर पर मेवाड़, वागड़, काँठल और मालवा के परस्पर मिले-जुले क्षेत्रों को साहित्य और संवेदनाओं की दृष्टि से ऊर्वरा क्षेत्र बताया और कहा कि यहाँ रचनाकर्म की अनंत संभावनाआें को आकार दिए जाने की आवश्यकता है। इस दिशा में समर्पित होकर काम कर रहे सृजनधर्मियों को उन्होंने सारस्वत भागीदार बताया और कहा कि यहाँ की माटी की सौंधी गंध का परचम दूर-दूर तक लहराता रहा है। उन्होंने नई पीढ़ी के रचनाकारों को और अधिक प्रोत्साहन, संबल और मार्गदर्शन देकर आगे लाने में साहित्यकारों का आह्वान किया।

कृति परिचय दिया हरीश व्यास ने

वरिष्ठ साहित्यकार एवं ख्यातनाम गीतकार हरीश व्यास (प्रतापगढ़) ने भरतचन्द्र शर्मा की काव्यकृति ‘सुनो पार्थ!’ में समाहित कविताओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी और क्षेत्रीय साहित्य जगत की ताजातरीन गतिविधियों, साहित्य प्रकाशन आदि के बारे में बताया।

लोक साहित्य का संरक्षण-संवर्धन जरूरी

समारोह में लोक साहित्य पर 40 से अधिक पुस्तकों के ख्यातनाम लेखक डॉ. पूरन सहगल(नीमच) ने अपनी पुस्तकों का सैट भरतचन्द्र शर्मा को प्रदान किया और लोक साहित्य, भक्ति साहित्य आदि परंपरागत साहित्य संपदाओं के शोध-अध्ययन और प्रचार-प्रसार पर बल देते हुए सम सामयिक साहित्य पर चर्चा की। विश्व स्कूल्स के संचालक अजय गरासिया ने साहित्य चिन्तन के मौजूदा आयामों और सामाजिक सरोकारों के निर्वहन में साहित्यकारों की भूमिकाओं को रेखांकित किया।

साहित्यकारों की ओर से बैरागी का अभिनंदन

सुरभि साहित्य परिषद बांसवाड़ा के संस्थापक घनश्याम नूर ने शॉल ओढ़ाकर बालकवि बैरागी का अभिनंदन किया तथा अपने संपादन में प्रकाशित कृति ‘आत्मीयता के शब्दकोष’ की प्रति भेंट की। बैरागी ने इस कृति का अवलोकन कर बेहतर प्रयास के लिए घनश्याम नूर तथा वागड़ के मशहूर गीतकार हरीश आचार्य को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए इस प्रकार के प्रयासों को निरन्तर जारी रखने का आह्वान किया।

‘शेष यात्राएँ’ की प्रति भेंट की

विमोचन के उपरान्त भरतचन्द्र शर्मा ने मणि बावरा के संयुक्त संपादन में दीप शिखा साहित्य संगम द्वारा प्रकाशित तथा तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी द्वारा विमोचित, वागड़ के रचनाकारों की काव्यकृति ‘शेष यात्राएँ’ की प्रति भेंट की। 

इससे पूर्व भरतचन्द्र शर्मा, हरीश व्यास, घनश्याम नूर आदि साहित्यकारों तथा अजीज भाई, धर्मेश शर्मा, राहुल शर्मा आदि प्रतिनिधियों ने बैरागी एवं समस्त अतिथियों का पुष्पहार पहना कर स्वागत किया। साहित्यकार भरतचन्द्र शर्मा ने यशस्वी साहित्य चिन्तक बालकवि बैरागी को प्रतीक चिह्न भेंट किया।

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