साध्वीवर्या श्री प्रियरंजना की 52 वी वर्धमान तप ओली का पारणा सम्पन्न
बाड़मेर
खतरगच्छीय पाष्र्वमणि तीर्थ प्रेरिका, गणरला गुरूवर्या श्री सुलोचना श्री जी म.सा. की विदुषी सुषिष्या, प्रवचन प्रभाविका, साध्वीरत्ना श्री प्रियरंजना श्री जी की 52 वर्धमान तप ओली का पारणा परमपूज्य तपागच्छीय मुन्नीराज काष्यप रत्न विजयजी महाराज साहब के पावन निश्रा में एवं साध्वी डाॅ. दिव्याजंना श्री जी एवं साध्वी शुभांजना श्री जी के पावन सानिध्य में आखातीज को अहमदाबाद में सम्पन्न हुआ। 
गुरूभक्त खेतमल तातेड़ ने बताया कि साध्वीवर्या के वर्धमान तप की तपस्या काफी समय से निरन्तर चल रही है इससे पूर्व ज्ञात रहे कि साध्वीवर्या श्री के 50 वी वर्धमान तप ओली का पारणा बहमसर दादावाड़ी तीर्थ के पवित्र पावन प्रागण में दादागुरूदेव की छत्रछाया में सम्पन्न हुआ था और 51 वी वर्धमान तप की ओली का पारणा बाड़मेर में अभी यषस्वी और ऐतिहासिक चातुर्मास के दौरान आराधना भवन में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ था और अभी 52 वी वर्द्धमान तप की ओली का पारणा दादागुरूदेव की छत्रछाया में दादा साहेब का पगलां नवरंगपुरा अहमदाबाद में को प्रातः 08 बजे समारोहपूर्वक सम्पन्न हुआ। 
इस अवसर पर मुनिराज काष्यप रत्न विजयजी महाराज ने कहा कि तपस्या मोक्ष मार्ग का अनूठा उपक्रम है। विरले व्यक्ति ही इस मार्ग पर चल सकते है। तपक रने से काया मलीन होती है। व शरीर स्वस्थ्य रहता है। तप की अलग से ज्ञान दर्षन चारित्र आत्मोत्थान की महत्वपूर्ण क्रिया होती है। साध्वीवर्या प्रियरंजना श्री ने कहा कि व्यक्ति जन्म से नही बल्कि कर्म से महान बनता है। यह पूण्र्योदय एवं गुरूदेव की असीम कृपा से ही वर्धमान तप की ओली की आराधना सहज रूप से हो जाती है। साध्वी डाॅ. दिव्याजना श्री ने कहा कि तप की महिमा जितनी कही जाये उतनी कम है। तप को सभी वंदन करते है तप से कर्मो की निर्जरा होती है तथा तप पूर्व कर्मो के उदय से ही तप की आराधना होती है। साध्वी शुभांजना श्री ने कहा कि तप के बिना मोक्ष संभव नही है। तप की अनुमोदना हर व्यक्ति ही करता है तपस्या करना कठिन है साधारण व्यक्ति तपस्या नही कर सकते है। 
कार्यक्रम में सामायिक मण्डल द्वारा सामूहिक सामयिक आराधना करवाई गई तथा बाद में भक्ति नाटिका स्वाद किया गया उसके बाद गरीबो को भोजन, अनुकम्पा दान जीवदया इत्यादि के कार्यक्रम का आयोजन गुरूभक्तों द्वारा किया गया। बाद में मंजूलता केवलचंद पहाईया की ओर से प्रभावना दी गई। इस अवसर पर केवलचंद पहाईया, सम्पतराज महेता, रमेष सिघवी, खेतमल तातेड़, नरेष लूणिया, कपिल संखलेचा, संजय बोथरा, राजीव बोहरा, कंचन धारीवाल, पूर्णिमा बहन पारख मंजूलता पहाईया, तथा बेगलोर, पूना, बड़ौदा, रेणीगुठा, अहमदाबाद, बाड़मेर, चितलवाना, सहित कई जगहों से सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु ने उपस्थित होकर पारणे की अनुमोदना की। 

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