आओ करें गौरवगान हमारा अपना राजस्थान
- डॉ. दीपक आचार्य
आज राजस्थान दिवस है। प्रदेश की स्थापना की सुनहरी वर्षगांठ का अवसर। शौर्य-पराक्रम भरे इतिहास, वीरगाथाओं, मातृभूमि के लिए सर्वस्व बलिदान करने वाले रणबांकुरों की भूमि राजस्थान।
हमें गर्व है कि हम उस प्रदेश के वासी हैं जिसका क्षेत्रफल हमारी उदारता की तरह सबसे अधिक है, हमारी संस्कृति और गर्वीली परंपराएं बेमिसाल हैं।
पिछले कई दशकों में हमने अकालों और सुकालों के दौर से गुजरते हुए विकास का आज वह मुकाम पा लिया है जो और प्रदेश नहीं पा सके हैं।
बहुआयामी तरक्की के इस मंजर ने देश और दुनिया वालों का ध्यान खिंचा है हमारे राजस्थान की ओर। विकास की बरसों से जारी श्रृंखलाओं ने हमें यहां तक पहुंचाया है।
विकास दर विकास को दर्शाने के लिए हम पिछले सालों से हर बार ढेरों आयोजनों और उत्सवों का सहारा लेते रहे हैं। आज का दिन राजस्थान के समग्र महिमा मण्डन को समर्पित है।
आज वह मौका है जब हमें राजस्थान की स्थापना से लेकर अब तक के इतिहास, राजस्थान प्रदेश की लोक संस्कृति, विरासतों, थातियों, महापुरुषों, परंपराओं, पर्वों, उत्सवों और मेलों, पर्वतों,नदियों, तालाबों, बावड़ियों, लोक जीवन, जन संगीत और राजस्थान से जुड़ी उस हर चीज और विचार के बारे में सोचना है और अब तक के सफर को आज के जन-जन के समक्ष परोसना है ताकि राजस्थान के सर्वांग परिदृश्य से लेकर अब तक की विकास यात्रा से मौजूदा पीढ़ी तो रूबरू हो ही सके, पहले से चले आ रहे लोगों का सीना भी गर्व से फूल सके।
आज का दिन हमें राजस्थान के नवनिर्माण के सभी प्रकार के अनथक और बहुआयामी प्रयासों और राजस्थान की गौरवशाली परंपराओं को याद दिलाता है वहीं यह दिन हमें उन सभी लोगों का भी पावन स्मरण कराता है जिन लोगों ने राजस्थान के निर्माण में अपनी आहुतियां दी हैं। वे चाहे किसी भी क्षेत्र, पक्ष या विचारों केे रहे हों मगर उनकी भी किसी न किसी रूप में भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। राजस्थान दिवस का यह दिन उस हर शख़्स और घटना को याद करने का है जिसने राजस्थान को बनाने और सँवारने में अपना किंचित मात्र भी योगदान दिया है।
राजस्थान प्रदेश रंगरंगीला और बहुमुखी लोक सांस्कृतिक परंपराओं से भरा-पूरा वह प्रदेश है जिसका हर दिन तीज-त्योहार और पर्व से लेकर किसी न किसी प्रकार के सामाजिक अनुष्ठानों से भरा रहा है।
यहाँ की अनमोल विरासतें हर दिन ताजगी का अहसास कराती हैं। राजस्थान की गौरवगाथा का बखान करने के साथ ही राजस्थान के हर पक्ष को सोचने-समझने और आधुनिक जमाने की रफ्तार को देख कर इसका और अधिक नव-नव निर्माण करने में समर्पित भागीदारी अदा करने के संकल्पों का स्मरण कराता है यह दिन।
राजस्थान का हर कोना किसी न किसी विलक्षणता से परिपूर्ण है। प्रदेश के उत्थान के साथ ही पुरातन वैभव का दिग्दर्शन कराने और आज की पीढ़ी को परिवेशीय विशेषताओं तथा महत्त्व से परिचित कराने के लिए बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है।
आज का दिन इस बात को भी इंगित करता है कि राजस्थान के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक जानकारी पहुंचे। देश-दुनिया के लोगों को राजस्थान की खासियतों से अवगत कराया जाए ताकि दुनिया भर से लोगों का राजस्थान के लिए आवागमन का दौर और अधिक तेज हो सके।
आज राजस्थान ने पिछले वर्षों की कठिन तपस्या और अनथक प्रयासों से वह सब कुछ पा लिया है जो विकास के लिए जरूरी होता है और विकसित प्रदेश की कल्पनाओं को साकार करता है।
ऎसे में हम सभी का कत्र्तव्य है कि राजस्थान की सम्पूर्ण झलक का दिग्दर्शन कर गौरव का अहसास करें और दुनिया को राजस्थान महिमा से परिचित कराएं।
इसके साथ ही हमें यह भी प्रण लेना होगा कि हमारे अपने पदों और कदों तथा स्वार्थों से ऊपर है हमारा प्यारा राजस्थान।
इसलिए क्षेत्र, भाषा और संकीर्ण मानसिकताओं से ऊपर उठकर मातृभूमि की सेवा और कीर्तिगान के लिए अपने आपको समर्पित करें, इसी में हमारा और प्रदेश का भला है।
राजस्थान दिवस पर प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयां.....।
जय-जय-जय हमारा अपना राजस्थान...

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