"दीदी" में नहीं दिखा दम, अन्ना ने छोड़ा साथ
नई दिल्ली। 
गांधीवादी नेता और समाजसेवी अन्ना हजारे में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी से किनारा कर लिया है। 
अब तक ममता की तारीफों के पूल बांध रहे और लोकसभा चुनाव में खुलकर समर्थन का वादा करने वाले हजारे ने शुक्रवार को ममता बनर्जी का साथ छोड़ दया। अन्ना ने अब किसी भी दल का समर्थन नहीं करने का ऎलान करा है। उन्होंने कहा कि वे अब ममता से कोई रिश्ता नहीं रखेंगे। अन्ना ने कहा कि उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को समर्थन दिया था उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को नहीं। अन्ना ने कहा कि उन्होंने बनर्जी की सादगी को देखते हुए उनको समर्थन करने की बात कही थी लेकिन उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देने की बात नहीं कही थी। 
उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले यहां रामलीला ग्राउंड़ में हुई तृणमूल कांग्रेस की रैली में अन्ना नहीं पहुंचे थे जबकि बनर्जी के साथ उन्हें भी इस रैली को संबोधित करना था। अन्ना ने रैली को लेकर हुई गड़बड़ी के लिए अपने सहयोगी पूर्व सांसद संतोषी भारतीय को दोषी ठहराया। 
उन्होंने भारतीय पर उन्हें धोखा देने का आरोप लगाया। अन्ना ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि यह ममता की रैली है जबकि ममता को बताया गया कि यह अन्ना की रैली है। 
अन्ना इस बात से भी बेहद खफा नजर आए कि दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित रैली में ममता बनर्जी भीड़ नहीं जुटा सकीं। अन्ना ने कहा कि महज 4 हजार लोग आए थे, इसलिए मैं उस रैली में नहीं गया। मालूम हो कि पहले अन्ना ने ममता के साथ संयुक्त रैली आयोजित करने की योजना बनाई थी।
कभी अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर जनलोकपाल के लिए आंदोलन चलाने वाले अन्ना हजारे ने पहले कहा था कि वे लोकसभा चुनाव में किसी भी दल के लिए प्रचार नहीं करेंगे। इसके बावजूद उन्होंने पलटते हुए ममता बनर्जी को समर्थन दे दिया। लेकिन वे चंद दिन भी ममता का साथ नहीं निभा सके और उनसे अलग होने का ऎलान कर दिया।

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