
देश भर में झाड़ू चलाने के लिए आम आदमी पार्टी फिर सड़क पर
नई दिल्ली।
दिल्ली में सत्ता से किनारा करने के एक दिन बाद आम आदमी पार्टी ने आम चुनाव की व्यापक तैयारियों की घोषणा की है। पार्टी ने कहा है कि आप 15 से 25 फरवरी तक देश भर में "झाड़ू यात्रा" निकालेगी।
दिल्ली में पार्टी नेताओं ने कहा कि शुक्रवार को विधानसभा में "जन लोकपाल के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा ने एक दूसरे का साथ दिया इसलिए उनके बीच साठगांठ है।"
कांग्रेस और भाजपा, दोनों ने आप की सरकार के महत्वाकांक्षी बिल जनलोकपाल को विधानसभा में पेश किए जाने का विरोध किया। उनका कहना है कि इस बिल को विधानसभा में पेश किए जाने का तरीका सही नहीं था। इसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार ने इस्तीफा दे दिया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा कि अंबानी और उनके 40 भाइयों ने लोकपाल नहीं बनने दिया। भ्रष्टाचार के खिलाफ पार्टी अपनी लड़ाई को आगे बढ़ाते हुए 23 फरवरी को पहली रैली हरियाणा में उसके बाद 2 मार्च को उत्तर प्रदेश में रैली करेगी। साथ ही देश भर में 15 से 25 फरवरी तक झाड़ू यात्रा चलाएगी।
उन्होंने कहा कि अंबानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए पार्टी ने केजरीवाल का बधाई दी।
आम आदमी पार्टी की कोशिश बीजेपी और कांग्रेस की मिलीभगत को जनता के सामने रखने की कोशिश होगी।
केजरीवाल के घर पर हुई आम आदमी पार्टी की बैठक
इससे पहले पार्टी नेता केजरीवाल के तिलक लेन स्थित उनके घर पर दिन के 11 बजे जमा हुए। दिल्ली में 49 दिन तक अल्पमत की सरकार चलाने वाले केजरीवाल ने जन लोकपाल विधेयक के पारित न होने की वजह से शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया।
केजरीवाल (45) ने कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) पर हमला करते हुए उन पर उद्योगपति मुकेश अंबानी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है, आप सरकार ने अंबानी के खिलाफ गैस की कीमतों को लेकर दो दिन पहले ही आपराधिक मामला दर्ज किया था।
सरकार का जन लोकपाल विधेयक को पारित कराने का फैसला एक सप्ताह से विवादित रहा था, क्योंकि उप राज्यपाल ने इसके सदन में पेश किए जाने से पहले केंद्र सरकार की मंजूरी को आवश्यक बताया था। लेकिन आप सरकार अपने फैसले पर कायम थी और इसे पेश करने का फैसला किया था।
बीजेपी का सरकार बनाने से इनकार, दिल्ली में राष्ट्रपति शासन के आसार
विधानसभा में लोकपाल बिल पास नहीं करा पाने से आहत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई के डर से कांग्रेस और बीजेपी ने मिलकर ये बिल पेश नहीं करने दिया। अपने इस्तीफे के साथ केजरीवाल ने दिल्ली में विधानसभा भंग करके तुरंत चुनाव कराने की मांग की है। उधर, विधानसभा में सबसे ज्यादा विधायकों वाली पार्टी बीजेपी ने साफ कर दिया है कि वो सरकार नहीं बनाएगी। ऎसे में दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के आसार है।
2012 की 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन आम आदमी पार्टी का गठन करने वाले अरविंद केजरीवाल ने 2014 के वैलेंटाइन डे यानी प्रेम दिवस पर अपनी सरकार कुर्बान कर दी। सरकार चलाने के 49वें दिन उन्हें ये बखूबी अहसास हो गया कि मौजूदा हालत में जनलोकपाल के साथ उनका प्रेम कामयाब नहीं हो पाएगा। शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में भारी हंगामे के बीच केजरीवाल सरकार ने जनलोकपाल बिल पेश करने की कोशिश की। लेकिन कांग्रेस और बीजेपी ने ये कहते हुए विरोध किया कि उपराज्यपाल की इजाजत के बिना ये खेल पेश ही नहीं हो सकता।
सदन में इस मसले पर मत विभाजन हुआ और बिल पेश करने का प्रस्ताव गिर गया। इसके बाद केजरीवाल ने देर नहीं की। उन्होंने पार्टी दफ्तर पहुंचकर जोश में भरे कार्यकर्ताओं के बीच इस्तीफा देने का ऎलान कर दिया। उनके पर थी बीजेपी और कांग्रेस।
वैसे, केजरीवाल ने दो दिन पहले ही साफ कर दिया था कि अगर वे जनलोकपाल बिल पेश और पास नहीं कर पाए तो इस्तीफा दे देंगे। लेकिन बीजेपी और कांग्रेस ने केजरीवाल के तमाम आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि केजरीवाल राजनीतिक कारणों से इस्तीफे का बहाना ढूंढ़ रहे थे। उन्होंने दावा किया कि वे जनलोकपाल का नहीं, उसे पेश किए जाने की प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं जो उनके मुताबिक असंवैधानिक है।
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