विवेकहीन थीं पिछली सरकार की योजनाएं
जयपुर।
राज्यपाल मारग्रेट आल्वा ने विधानसभा के पहले सत्र में अपने अभिभाषण में राज्य की पिछली कांग्रेस सरकार की योजनाओं पर सवाल उठाए। उन्हें विवेकहीन बताया। अभिभाषण में कहा गया है कि पिछली सरकार ने राज्य पर बीमारू होने का कलंक लगा दिया। 47 पेज के अभिभाषण में लगभग 12 पैराग्राफ में पिछली सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, पिछली सरकार की कई योजनाओं की उपयोगिता संदेहास्पद है। इनके कारण भविष्य में राज्य की वित्तीय स्थिति पर विपरीत असर होगा। टैबलेट, साइकिल और साड़ी वितरण जैसी योजनाओं के तहत नकद राशि देने के कारण बजट का सही उपयोग नहीं हो सका।
प्रदेश की समृद्धि का भावी विजन बताते हुए अभिभाषण में कहा गया है कि सरकार ने वर्ष 2020 में नए राजस्थान के निर्माण के लिए विकास की पांच मुख्य प्राथमिकताएं तय की हैं। इनमें निवेश प्रोत्साहन, रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने, आर्थिक ढांचे में सुधार तथा शिक्षा व कौशल विकास पर विशेष महत्व दिया है। साथ ही महिलाओं व बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता दी गई है। सरकार का लक्ष्य 12 प्रतिशत की विकास दर हासिल करना है।
गिनाए 60 दिवसीय कार्ययोजना के काम
राज्यपाल के अभिभाषण में सरकार की ओर से किए जाने वाले काम में अधिकतर काम वही बताए गए हैं जो साठ दिवसीय कार्ययोजना में शामिल हैं।
यूं कोसा पिछली सरकार को
लम्बी चौड़ी वार्षिक व पंचवर्षीय योजना की घोषणा के बावजूद आशानुरूप उपलब्घि नहीं मिल पाई।
बड़ी-बड़ी घोषणाओं का जनता को लाभ नहीं मिला।
महंगाई के कारण जीवन यापन कठिन हो गया।
महिला उत्पीड़न की घटनाएं घटती रही।
देश के 20 बड़े राज्यों में प्रदेश 11 वें से 16 वें स्थान पर आ गया।
शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी
बुनियादी आवश्यकता की पूरी तरह से अनदेखी हुई।
शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए केवल थोथी घोषणाएं की और जानबूझकर वैधानिक खामियां छोड़ दी।
शिशु मृत्यु दर व मातृ मृत्यु दर में प्रदेश बीमारू श्रेणी में आ गया।
14 हजार करोड़ रूपए की अतिरिक्त मंजूरी से सात हजार करोड़ रूपए का राजस्व घाटा हो जाएगा।
राजकोषीय घाटा भी 13. 20 हजार करोड़ रूपए से बढ़कर 28 हजार करोड़ रूपए हो जाएगा।
जयपुर विकास प्राधिकरण व राजस्थान माइन्स व मिनरल्स लिमिटेड जैसे उपक्रम घाटे में आ गए।
सरकार यह करेगी
वर्ष 2020 तक नए राजस्थान के निर्माण के लिए एकवर्षीय व पंचवर्षीय योजना बनाकर लागू करेंगे।
12त्न की विकास दर हासिल करेंगे।
किसानों के लिए साढ़े 6 घण्टे बिजली।
17 सौ मेगावाट की परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जाएगा।
बिजली वितरण कंपनियों का स्वतंत्र निकाय से ऑडिट कराया जाएगा।
वैधानिक कार्रवाई कर पारदर्शिता के साथ शिक्षकों के रिक्त पद भरेंगे।
आम जनता के परिवादों के समग्र प्रभावी एवं त्वरित समाधान के लिए राज्य स्तरीय "राजस्थान संपर्क पोर्टल" प्रारम्भ होगा।
पढ़ा मानने पर राव का एतराज
जयपुर. राज्यपाल के अभिभाषण को पढ़ा हुआ मानने की परम्परा को लेकर गुरूवार को सत्ता पक्ष के विधायक ने ही एतराज कर दिया। प्रतिपक्ष ने भी इस मुद्दे पर एतराज करने वाले विधायक राव राजेंद्र सिंह का समर्थन किया। सदन में जब राज्यपाल ने हिन्दी में अभिभाषण देना शुरू किया तो दस मिनट बाद ही संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि राज्यपाल को हिन्दी वाचन में दिक्कत आ रही है तो शेष अभिभाषण को पढ़ा हुआ माना जा सकता है।
इसके बाद राज्यपाल ने कुछ पन्ने और पढ़े तथा शेष अभिभाषण को सदन के पटल पर रखकर लौट गईं।
सदस्यों की शपथ के बाद जैसे ही आगे की कार्यवाही शुरू हुई भाजपा विधायक राव राजेन्द्र सिंह ने इस व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्यपाल को अभिभाषण का अधिकार है और सदन के सदस्यों को सुनने का अधिकार है। लेकिन एक व्यक्ति के कहने से उनका अभिभाषण पढ़ा हुआ मान लिया गया। यह परम्परा सदन के सदस्यों के सुनने के अधिकार का हनन है।
राजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि राज्यपाल का अभिभाषण पढ़ा हुआ मान लेने के फैसले पर पूरे सदन की मूक सहमति है। मामला बढ़ता देख अध्यक्ष ने व्यवस्था दी कि इस बारे में सर्वदलीय बैठक बुलाकर स्थायी व्यवस्था की जाएगी। हालांकि बाद में राव राजेन्द्र सिंह ने सफाई दी कि एक व्यक्ति से उनका मतलब संसदीय कार्य मंत्री नहीं थे। वे पहले जो होता रहा है उसका उल्लेख कर रहे थे। राज्यपाल मार्गेट आल्वा के बारह मिनट पढ़ने के बाद अभिभाषण को पढ़ा हुआ मान लिया गया।
फरवरी में लेखानुदान !
राज्य सरकार आगामी तीन माह के खर्चे के लिए फरवरी में विधानसभा की बैठक बुला लेखानुदान पारित करवा सकती है। इसके लिए विधानसभा की बैठकें 19-20 फरवरी को होने की सम्भावना है। धन्यवाद प्रस्ताव पर 29 जनवरी को दोपहर तीन बजे सरकार का जवाब आ सकता है। वहीं 29 को ही सीएजी की रिपोर्ट भी पेश की जा सकती है। स्पीकर कैलाश मेघवाल की अध्यक्षता में कार्य सलाहकार समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया।
नहीं आए कुशवाह
बसपा विधायक बी.एल. कुशवाह गुरूवार को भी सदन में शपथ लेने नहीं आए। सदन के बाहर भी उनकी तलाश में पुलिस की कड़ी जांच का सिलसिला जारी रहा। गुरूवार को भंवरलाल शर्मा, विश्वेन्द्र सिंह और रणधीर सिंह भीण्डर ने शपथ ली।
सुशासन कहां- बेनीवाल
हनुमान बेनीवाल ने नागौर के खींवसर में आंदोलन कर रहे किसानों का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार राज्यपाल के अभिभाषण में प्रदेश में सुशासन का जिक्र कर रही है, लेकिन सरकार का यह सुशासन अब तक वहां क्यों नहीं पहुंचा।

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