मानवता
जैसलमेर।
हिंगलाज देवी का मंदिर गड़ीसर तालाब में स्थित है। जब गड़ीसर अपने चरम स्थिति में होता है, मतलब भरपूर बरसात में पूरा भर जाए तब की स्थिति, तब यहाँ जाने का एक मात्र रास्ता वोटिंग ही बचता है। अन्य स्थिति में थोड़ा वाकिंग डिस्टेंस पर है। घूमने के शौक़ीन पर्यटक भी पहुँच जाते है यहाँ पर।
ऐसे ही रूस से आई दो युव
तियां भी आई। अंदर आते ही औपचारिक अभिवादन के बाद उन्होंने अपने बैग में से दूध की बोतल , बिस्किट एवं यूज एंड थ्रो वाले बर्तन निकाले। उनमे बिस्किट के टुकड़े कर, दूध डाला और फिर एक-एक करके श्वान के बच्चों को सुबह का भोजन करवाया। उनका श्वान के बच्चों को इस तरह दूध और बिस्किट खिलाना वाकई में एक अद्द्भुत कार्य है। मानवता की चरम फीलिंग है।
तियां भी आई। अंदर आते ही औपचारिक अभिवादन के बाद उन्होंने अपने बैग में से दूध की बोतल , बिस्किट एवं यूज एंड थ्रो वाले बर्तन निकाले। उनमे बिस्किट के टुकड़े कर, दूध डाला और फिर एक-एक करके श्वान के बच्चों को सुबह का भोजन करवाया। उनका श्वान के बच्चों को इस तरह दूध और बिस्किट खिलाना वाकई में एक अद्द्भुत कार्य है। मानवता की चरम फीलिंग है।
मैंने उनसे पूछा कि आप कल आई थी यहाँ पर तभी पूरी तैयारी के साथ आज आई हो। उन्होंने कहा, हाँ। यानि कि एक दिन पहले उनकी स्थिति देख कर गई थी वे। वाकई में उनका यह कार्य काबिल-इ-तारीफ़ है। उनके इस नेक कार्य को सलाम।
ये सात बच्चे है श्वान के और सातों की उम्र महज २५ दिन है। इसलिए केवल बिस्किट नहीं खा रहे थे, वहीं आस-पास, स्थानीय आगंतुकों द्वारा डाले गए थे जिसे नहीं खाया जा सका था। इन्होंने यह सब देखकर यह तय किया कि बिस्किट को दूध के साथ मिला कर दिया जाय। ठीक सोचा वैसा किया, तो बड़े चाव के साथ खाते देखकर मै भी लिखने बैठ गया।
जाते-जाते उनके लिए हिदायत भी दे गई, कि ख्याल रखना इनका।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें