करौली-धौलपुर को छोड़ किसी जिले में संतोषजनक प्रदर्शन नहीं
आनंद एम वासु
जैसलमेर.
कांग्रेस में कोई भी हार की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। प्रदेशाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान ने हार के साथ ही जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था, लेकिन जोधपुर को छोड़ किसी भी जिला इकाई अध्यक्ष ने ऐसी पहल नहीं की है। पदाधिकारी आरोप-प्रत्यारोप में लगे हैं। आरोप लगा रहे हैं कि पदाधिकारियों ने ही प्रत्याशियों को हरवाया।
इस प्रकार के मामले जयपुर, जोधपुर, उदयपुर सहित कई जिलों में हुई जिला बैठकों में सामने आ चुके हैं, जिनमें कार्यकर्ताओं के बीच हाथापाई, हंगामा और धक्का-मुक्की के मामले सड़क पर आ गए थे। पार्टी की लड़ाई पिछले दिनों दिल्ली भी पहुंच गई थी। इस बीच न तो प्रदेशाध्यक्ष का इस्तीफा स्वीकार किया जा रहा और न ही नए प्रदेशाध्यक्ष के नाम पर मुहर लग पा रही है।
करौली-धौलपुर को छोड़ किसी जिले में संतोषजनक प्रदर्शन नहीं
विधानसभा चुनाव में केवल करौली में 4 में से 3 सीटों पर और धौलपुर में 4 में से 2 सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई। शेष जिलों में स्थिति इतनी खराब थी कि 17 जिलों में एक भी सीट कांग्रेस के खाते में नहीं गई। न केवल ऐसे सभी जिलाध्यक्ष इस्तीफे जैसी कोई पहल कर रहे।
इनमें से केवल जोधपुर जिलाध्यक्ष ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की पेशकश की। जिन 17 जिलों में एक भी सीट कांग्रेस के खाते नहीं गई उनमें जैसलमेर सहित अजमेर, बारां, चित्तौडग़ढ़, दौसा, डूंगरपुर, गंगानगर, हनुमानगढ़, झालावाड़, कोटा, नागौर, पाली, प्रतापगढ़, राजसमंद, सवाई माधोपुर, सिरोही व टोंक शामिल हैं।
प्रदेशाध्यक्ष बनेंगे सांसद!
बिगड़े हालात में राज्य की लोकसभा सीटों पर चुनाव लडऩे के लिए सांसद अभी मन नहीं बना पा रहे। कई सांसद चाह रहे हैं कि वे प्रदेशाध्यक्ष बनकर कम से कम अपना अस्तित्व बचा सकते हैं। चुनाव लड़े तो आज की स्थिति के अनुसार उन्हें हार दिखाई दे रही है। उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव में आए परिणाम को देखें तो सभी लोकसभा सीटों पर कांग्रेस पिछड़ गई है
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