राजनीतिक क्षेत्र में हाशिए पर है जैसलमेर
-अभी तक जैसलमेर से कोई विधायक मंत्री नहीं बना, भारत-पाक सीमा पर बसे जैसलमेर की आवाज विधानसभा में नहीं पहुंचती, जमीन से जुड़े नेता नहीं होने से विधायकों को तवज्जो नहीं दी जा रही, क्या इस बार तस्वीर बदलेगी....?
-आनंद एम. वासु-
जैसलमेर। भारत-पाक सीमा पर बसा छोटा सा जिला। लेकिन क्षेत्रफल की दृष्टि से काफी बड़ा। दूर-दराज की गांव-ढाणियों में पसरा हुआ। जहां गर्मी में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच जाता है। सर्दियों में पारा शून्य के नीचे तक चला जाता है। मौसम की मार सहने वाले किसानों की समस्याएं भी कम नहीं है। नहरी पानी को लेकर किसान तो हर बार छले जाते हैं। पर्यटन, कला, शिक्षा, साहित्य, समाज, सुरक्षा और रोटी-कपड़ा-मकान के दृष्टिकोण से पिछड़ा हुआ।
आजादी के बाद अब तक चुनावों में यहां से कोई भी व्यक्ति मंत्री नहीं बना, बस विधायक बनकर रह गया। यानी राजनीतिक हाशिए पर रहा जैसलमेर। यही वजह रही कि विधानसभा में कभी भी जैसलमेर के लोगों की समस्याएं, उनके मुद्दे ठोस ढंग से नहीं उठाए गए। जैसलमेर में यह बात सोचने लायक है कि कोई भी व्यक्ति जन नेता नहीं बन पाया। छोटूसिंह भाजपा से दूसरी बार विधायक बने हैं। लेकिन ऐसे कितने छोटूसिंह है जो दो बार भी विधायक बने हो। किसी भी जाति में अभी तक कोई कद्दावर नेता सामने नहीं आया है जिसे जैसलमेर की जनता ने सिर-आंखों पर बिठाया हो। यही वजह है कि विधानसभा में जैसलमेर के विधायक को मंत्री पद नसीब नहीं हुआ।
किसी के पास वोट बैंक नहीं
जैसलमेर में किसी भी पार्टी या किसी भी व्यक्ति के पास स्थाई रूप से वोट बैंक नहीं है। यहां की राजनीति कुछ जुदा है। यहां किसी वर्ग विशेष का चहेता भी कोई नहीं है। मुस्लिम वोटों का रुझान भी कभी किसी एक पार्टी के या व्यक्ति के पक्ष में नहीं रहा है। गाजी फकीर ने जब-जब दिशा बदली, जिस व्यक्ति को वोट दिलाए वह जीत गया। इस बार मुस्लिम व दलित वोटों के धु्रवीकरण का समीकरण बिठाया गया, लेकिन अन्य वोट खिसक गए और रिकॉर्ड वोट पड़े और कांग्रेस के रूपाराम और शाले मोहम्मद दोनों जमीन पर आ गिरे। कहने का तात्पर्य यह है कि कोई भी व्यक्ति चुनाव जीत सकता है और जीता लगने वाला प्रत्याशी हार सकता है।
क्या इस बार छोटूसिंह या शैतानसिंह में से कोई मंत्री बनेगा
जैसलमेर से भाजपा के छोटूसिंह और पोकरण से भाजपा के शैतानसिंह जीते हैं। अब जैसलमेर की जनता की इच्छा है कि इनमें से किसी एक को मंत्री बनाया जाए। लोग एक-दूसरे से सवाल कर रहे हैं कि क्या इस बार जैसलमेर को नेतृत्व मिलेगा। क्या कोई मंत्री पद प्राप्त कर सकेगा। जैसलमेर को हमेशा हाशिए पर रखा गया है। यहां आजादी के बाद अब तक कोई मंत्री नहीं बना है। फिर छोटूसिंह या शैतानसिंह में से कोई मंत्री की दौड़ में रहेगा, ऐसे ही सवालों से घिरी जनता की भी इच्छा है कि इस बार जैसलमेर से किसी को प्रतिनिधित्व मिले।
क्यों बने मंत्री:
छोटूसिंह की ताकत: छोटूसिंह सुलझे हुए व्यक्ति है। सरल स्वभाव और लोगों की समस्याओं के समाधान को लेकर हमेशा तत्पर रहते हैं। वे दूसरी बार विधायक बने हैं। ऐसे में उन्हें मंत्री पद मिलना उचित लग रहा है।
कमजोरी: वे सरल स्वभाव के और सुलझे हुए तो हैं, लेकिन राजपूत नेता अधिक होने की वजह से उनका नंबर आएगा या नहीं इस पर शंसय हैं।
शैतानसिंह की ताकत: शैतानसिंह युवा नेता है और युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हैं। उनकी योग्यता और जनता से जुड़ाव उन्हें मंत्री पद का हकदार बनाता है।
कमजोरी: पोकरण छोटा सा स्थान है। यहां से शैतानसिंह को मंत्री बनाने में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कम ही दिलचस्पी दिखाएगा। उन्हें खासा होमवर्क करना होगा।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें