मंत्रिमंडल के गठन के बाद अब इन पर नजर 

जयपुर। 
प्रदेश में नई सरकार और मंत्रिमंडल के गठन के साथ ही राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर भी कवायद तेज हो गई है।
हालांकि मंत्रिमंडल के गठन में मात्र एक दर्जन मंत्रियों को शपथ दिलाने के बाद माना जा रहा है कि बोर्ड व निगमों के पदों पर नई नियुक्तियों को भी सरकार लोकसभा चुनाव तक टालने की तैयारी में है।
इन पदों के लिए वर्तमान में चुनकर आए विधायकों के अलावा पराजित नेता व संगठन से जुड़े प्रमुख नेता भी कतार में हैं। ये सभी नियुक्ति की कवायद में जुट गए हैं।
हालांकि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 162 विधायकों में से अधिकांश को इन पदों पर नियुक्ति दे सकती हैं। हालांकि इनमें से कई पदों पर काबिज लोगों ने इस्तीफे नहीं दिए हैं और नई नियुक्ति से पहले उनके इस्तीफों का इंतजार करना होगा।
ये हैं प्रमुख निगम-बोर्ड
राजस्थान हाउसिंग बोर्ड, आरटीडीसी, बुनकर संघ, राजस्थान विकास प्राधिकरण, राजस्थान मदरसा बोर्ड, राज्य माटी कला बोर्ड, राजस्थान राज्य बीज निगम, बीस सूत्री कार्यक्रम, समाज कल्याण बोर्ड, भेड़, ऊन विकास बोर्ड, राजस्थान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, श्रम सलाहकार बोर्ड, उपभोक्ता संरक्षण मंच। इसके अलावा प्रदेश के नगर निगम व पालिकाओं में भी मनोनीत सदस्यों की नियुक्ति राज्य सरकार के निर्देश पर होती है।

इन आयोगों में भी होगी नियुक्ति
राज्य वित्त आयोग, राज्य विद्युत नियामक आयोग, राज्य महिला आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, राज सूचना आयोग, गौसेवा आयोग, अल्प संख्यक आयोग, राजस्थान किसान अयोग, राजस्थान डांग क्षेत्रिय विकास मंडल और राजस्थान लोकसेवा आयोग।

इन अकादमियों में कवायद
हिंदी ग्रंथ अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, राज ज्यूडिशियल अकादमी, राजस्थान भाषा सा. व संवर्घन अकादमी, अरबी-फारसी शोध संस्थान, राजस्थान साहित्य अकादमी, उर्दू, संस्कृत, ब्रज, सिंधी, पंजाबी, राजस्थानी भाषा अकादमी।

प्रमुख नेता दौड़ में
माना जा रहा है कि इन निगम, बोर्ड, अकादमियों व आयोग में नियुक्ति के लिए कई प्रमुख नेता कवायद में जुटे हैं। इसमें पूर्व सरकार में मंत्री रहे डॉ. दिगंबर सिंह, देवी सिंह भाटी, अल्पसंख्यक नेता अमीन पठान, सूर्यकांता व्यास, औंकार सिंह लखावत, सरोज कुमारी सहित कर्ई वरिष्ठ नेता पदों की दौड़ में शामिल हैं।

पिछली सरकार को हुआ नुकसान
गौरतलब है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में इन पदों पर नियुक्ति का मामला पूरे चार साल तक अटका था, जिसके चलते सरकार को चुनाव के दौरान खासा खमियाजा भुगतना पड़ा था। 

ऎसे में भाजपा सरकार अधिकांश पदों पर जल्द से जल्द नियुक्ति देने का प्रयास करेगी। हालांकि इन पदों पर नियुक्ति को लेकर सरकार लोकसभा चुनाव तक का इंतजार कर सकती है।

लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने मिशन-25 शुरू किया है और राजनीतिक नियुक्तियों के लिए राजे चुनाव के परिणाम को देखकर निर्णय कर सकती हैं।

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
HAFTE KI BAAT © 2013-14. All Rights Reserved.
Top