पूर्व जज पर शिकंजा,पीडिता को भेजा मेल 
नई दिल्ली। 
सुप्रीमकोर्ट ने प्रशिक्षु महिला वकील के साथ कथित यौन उत्पीडन मामले में न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) एके गांगुली के खिलाफ कोई प्रशासनिक कार्रवाई करने से भले ही पल्ला झाड़ लिया हो, लेकिन इसके लिए राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव बढ़ रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं और महिला संगठनों ने सुप्रीमकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एके गांगुली के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की वकालत की है। अगर पीडिा पुलिस को लिखित में शिकायत दे देती है तो गांगुली की मुश्किल और बढ़ सकती है।

इस बीच राष्ट्रीय महिला आयोग ने न्यायाधीश गांगुली को नोटिस जारी किया है। आयोग ने पुलिस को भी आरोपी न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। उधर, दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सिद्धार्थ लूथरा से राय मांगी है, ताकि उचित कदम उठाया जा सके। 

हालांकि दिल्ली पुलिस ने कहा कि वह पीडित महिला से संपर्क करने की कोशिश कर रही है ताकि उसे शिकायत करने के लिए राजी किया जा सके। गांगुली को पिछले दिसंबर में एक होटल के कमरे में कानून की एक प्रशिक्षु के साथ अशोभनीय आचरण करने का दोषी ठहराया गया है।

दिल्ली पुलिस के एक बयान में कहा गया है कि हम शिकायतकर्ता से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि घटना के बारे में उसका पक्ष हम प्राप्त कर सकें। न्यायाधीशों की समिति ने अपनी रिपोर्ट 28 नवंबर को प्रधान न्यायाधीश पी. सतशिवम को सौंप दी थी, और उसे गुरूवार को सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर जारी कर दिया गया। 

रपट में कहा गया है कि कानून की प्रशिक्षु जो कि इस समय वकील है, ने कहा कि न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) ए.के. गांगुली ने उसके साथ होटल ली मेरिडयन में एक कमरे में 24 दिसंबर, 2012 को रात लगभग आठ बजे और 10.30 बजे के बीच अशोभनीय हरकत की।

रिपोर्ट पर विचार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय की एक पूर्ण पीठ ने इस घटना में सर्वोच्च न्यायालय प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई करने से इंकार कर दिया।

पूर्ण पीठ ने कहा कि इस तथ्य पर विचार करने के बाद कि प्रशिक्षु सुप्रीमकोर्ट की अधिकृत प्रशिक्षु नहीं थी और संबंधित न्यायाधीश घटना के दिन तक सेवानिवृत्ति के कारण पदमुक्त हो चुके थे, लिहाजा इस न्यायालय की ओर से इस मामले में आगे कार्रवाई की जरूरत नहीं है।

वकील ने सबसे पहले छह नवंबर को जर्नल ऑफ लॉ एंड सोसायटी के एक ब्लॉग पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। उसके बाद उसने "लीगली इंडिया" वेबसाइट के साथ एक साक्षात्कार में आरोप को दोहराया है। 

पुलिस ने पीडिता को भेजा मेल

पुलिस उपायुक्त एसबीएस त्यागी ने कहा, "हमने पीडिता को एक ई-मेल भेजा है कि वे मामले में प्राथमिकी दर्ज कराएं और बयान रिकार्ड कराएं। आगे की कार्रवाई पीडिता के सामने आने के बाद तय की जाएगी।" त्यागी ने इस बात से इनकार कर दिया कि दिल्ली पुलिस इस मामले में कोई कानूनी विकल्प खोज रही है।

विश्वविद्यालय की तरफ से शिकायत

इससे पहले दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ फेकल्टी के पूर्व प्रोफेसर एसएन शर्मा ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर तिलक मार्ग के स्टेशन हाउस अधिकारी को एक लिखित शिकायत की है। प्रोफेसर ने अपनी शिकायत में कहा, "इस बातचीत को पीडिता और अन्य पर यौन हमले की प्राथमिकी दर्ज करने के तौर पर लिया जाए, जो भादवि की धारा 354, धारा 354-ए और 354-बी सहित अन्य संबंधित प्रावधानों के तहत संज्ञेय अपराध है।" हालांकि पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की है। ऎसा इसलिए ताकि पहले पीडिता खुद मामले में सामने आ जाए।

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