मंगल मिशन: पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा मंगल यान
बेंगलूरू।
रोशनी के पर्व दीपावली के दो दिन बाद मंगलवार को भारत ने अपने पहले मंगल मिशन का प्रक्षेपण का अंतरिक्ष में नया इतिहास रचा है। मंगलयान पृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया है। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लांच पैड पर देश के पहले मंगल अभियान को लॉन्च कर दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार उलटी गिनती तय समय रविवार सुबह 6 .08 बजे शुरू हुई। लगभग 56 घंटे 30 मिनट की उलटी गिनती के बाद धु्रवीय प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी-25 से मंगलयान का प्रक्षेपण आज दोपहर 2.38 बजे किया गया।
अभियान पर 2 स्थानों से निगरानी
भारत के पहले मंगलयान को ले जा रहे प्रक्षेपण यान पर दो स्थानों से निगरानी की जा रही है। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। प्रक्षेपण यान को आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से मंगलवार को प्रक्षेपित किया गया। एक अधिकारी ने बताया कि प्रक्षेपण यान पर बिआक और पोर्ट ब्लेयर से नजर रखी जा रही है।
1 दिसंबर से शुरू होगी मंगलयात्रा
आरंभिक रिपोर्टो के अनुसार 82 किलोमीटर की ऊंचाई पर जाने के साथ ही राकेट पर लगा चार पियों वाला मोटर यान से अलग हो गया। उस समय यान का वेग 2.3 किलोमीटर प्रति सेकंड था। इसरो ने बताया कि फिलहाल सभी मापदंड सामान्य हैं। यान के पृथ्वी की कक्षा में पहुंचने के बाद छह इंजन इससे अलग होजायेंगे। मंगलयान को 30 नवंबर को ऎसे वक्र में स्थानांतरित कर दिया जायेगा जहां से उसे मंगल ग्रह की ओर रवाना किया जा सकेगा। अगले ही दिन 40 करोड़ किलोमीटर की मंगलयात्रा शुरू हो जायेगी। लगभग तीन सौ दिन की यात्रा पूरी कर यान मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचेगा। उससे पहले इसकी गति कम कर दी जायेगी ताकि अधिक गति के कारण यह मंगल के गुरूत्वाकर्षण का शिकार होकर ग्रह से न टकरा जाये। ग्रह से 80 हजार किलोमीटर की ऊंचाई पर यह मंगल के चक्कर लगाएगा और ग्रह पर मौजूद गैसों, खनिजों, वहां की धरातल की संरचना और पानी की मौजूदगी आदि के बारे में जानकारी एकत्र करेगा। यान बेंगलूरू के पास स्थित इसरो के डीप स्पेस नेटवर्क स्टेशन को ये आंकड़े भेजेगा जो मंगल यात्रा के दौरान बाद के चरण में यान को नियंत्रित करेगा।
मोदी ने दी बधाई
भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने मंगलयान को लेकर इसरों को बधाई दी है। मोदी ने कहा कि पृथ्वी और मंगल में नाभि का रिश्ता माना जाता है। इस नाभि के रिश्ते की वजह से यह मानव जाती के लिए सर्वाधिका मंगलकारी सिद्ध होगा। जब चंद्रयान लॉन्च हुआ था तब मैं खुद इसरों गया था वैज्ञानिकों को बधाई देने लेकिन इस बार नहीं जा सका। लेकिन मैं इस मिशन से जुड़े हर व्यक्ति को बधाई देता हूं।
पीएम और सोनिया गांधी ने भी दी बधाई
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मंगल मिशन के लिए इसरो के सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी है और मिशन की सफलता की कामना की है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए कहा है कि उनकी इस शानदार कामयाबी पर हर भारतीय को गर्व है।
2014 में पहुंचेगा मंगल पर
इसरो अधिकारी ने बताया कि प्रक्षेपण के लगभग 43 मिनट बाद पीएसएलवी सी-25 मंगलयान को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर देगा। यह पृथ्वी से निकटम 283 किलोमीटर और अधिकतम 23 हजार 500 किलोमीटर वाली कक्षा होगी। बाद में उपग्रह के मार्ग में बदलाव कर उसे मंगल पर पहुंचा दिया जाएगा। इसमें इसरो के ब्यायालू स्थित डीप स्पेस कम्यूनिकेशंस फैसिलिटी, कैलिफोर्निया गोल्डस्टोन स्थित अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा का जमीनी स्टेशन, मैड्रिड और कैनबरा के जमीनी केंद्र से इस पर नजर रखी जाएगा। लगभग 300 दिनों का सफर तय मंगलयान सितम्बर 2014 में मंगल पर पहंुचेगा।
गौरतलब है कि लगभग 1340 किलोग्राम वजनी मंगलयान का निर्माण पूर्णत: स्वदेशी तकनीक से किया गया है। उपग्रह में ऎसी प्रणालियां है जिससे यान खुद निर्देशित होगा और अपनी गलतियां खुद सुधारेगा। इसमें नेविगेशन प्रणाली है यानी मार्ग भटकने पर वह खुद सही रास्ते पर आ भी जाएगा। चूंकि रॉकेट से अलग होने के बाद मंगलयान को लंबा सफर तय करना है इसलिए उसके साथ लांचर भी है। इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला भारत पहला देश है।
मंगलयान में कुल पांच वैज्ञानिक उपकरण हैं जिनका कुल वजन सिर्फ 15 किलोग्राम है। इन उपकरणों के नाम हैं लाइमन अल्फा फोटोमीटर, मीथेन सेंसर फॉर मार्स, मार्सियन एक्सोफेरिक कम्पोजिशन एक्सप्लोरर, मार्स कलर कैमरा और टाईआर इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर। इन उपकरणों की मदद से इसरो मंगल पर जीवन की मौजूदगी का पता लगाने के लिए कई प्रयोगों को अंजाम देगा।
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