बजरी खनन पर अब 82 का अधिकार
जयपुर।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में बजरी खनन पर लगी रोक जरूर हटा दी है, लेकिन खनन का अधिकार 82 लीजधारकों के पास होने से इस कारोबार पर सिर्फ इनका ही एकाधिकार हो गया है। उल्लेखनीय है कि पहले कोई भी खान विभाग की अनुमति से बजरी खनन कर सकता था। इस एकाधिकार से बजरी महंगी होने की भी आशंका पैदा हो गई है। दरअसल राज्य सरकार ने इन लीजधारकों को बजरी खनन के पट्टे तो दे दिए, लेकिन बजरी के भाव पर नियंत्रण के लिए सिस्टम नहीं बनाया गया।
16 के लीज निरस्त होंगे
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल राज्य में बजरी खनन नीति बनाकर इसके पट्टे जारी कर ही बजरी खनन के निर्देश दिए थे। इसके बाद खान विभाग ने टेंडर के जरिए 98 को लीज जारी कर बजरी खनन के मंशा पत्र जारी किए। इनको एक साल के अन्दर केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय से अनापत्ति लाने को कहा गया था, लेकिन 98 में से 82 ने ही वहां आवेदन किया। जिन 16 लीज धारकों ने आवेदन नहीं किया, उनके लीज निरस्त करने की विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है।
भवन निर्माताओं को राहत
बजरी खनन पर लम्बे समय से रोक के कारण इसके दाम 50 से 60 रूपए फीट तक पहुंच गए थे। इससे प्रदेश में भवन निर्माण लगभग बंद हो गए थे। सरकारी काम भी अटके थे। अब बजरी बाजार में आने से निर्माण कार्य चालू होंगे और मजदूरों को भी रोजगार मिल जाएगा। बजरी खनन से राज्य में 18-20 हजार ट्रक चालकों, करीब एक लाख से अधिक मजदूरों को फिर से रोजगार मिलेगा।
नोटिस जारी किए
सुप्रीम कोर्ट ने बजरी पर लगी रोक हटा दी है। अब राज्य में 82 एलओआई धारक बजरी खनन कर सकेंगे। जिन एलओआई धारकों ने पर्यावरण एनओसी के लिए आवेदन नहीं किया है, उनकी लीज निरस्त करने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। बी.एस. सोढा, अतिरिक्त निदेशक, खान एवं भू विज्ञान विभाग
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