छ दलित परिवार को निकाला गाव से, पिछले डेढ़ महीने से खोफ में 
बाड़मेर 
जिले के पाक सीमा से सटे इटादा गांव मे छः दलित परिवारो के करीब चालीस से पचास लोगो पर जुल्म की इन्ताह हो गई। अब इन पाक शरणार्थी परिवारो को गांव से बाहर निकाल दिया गया साथ यह भी फरमान सुना दिया गया है । की अगर किसी ने गांव मे आने की हिम्मत जुटाई तो उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है। पिछले करीब डेढ माह से इन परिवारो के बच्चो से लेकर बुढो तक खौफ के साए मे दर-दर की ठोकरे खा रहे है। प्रशासनिक अधिकारी इनकी फरियाद सुनने को तैयार नही है। अब यह मामला पुलिस और प्रशासन के ढिले रवेया के चलते सियासी रंग लेता हुआ नजर आ रहा है। लेकिन पुलिस और प्रशासन अभी कुभकरण की नींद मे सोया हुआ है। और किसी बड़े आन्दोलन के इंतजार मे है पाक सीमा से सटे इटादा गांव मे रहने वाले शागराराम दलित के साथ पाक शरणार्थी है इनके परिवार ने पाक मे हिन्दूओ पर हो रहे अत्याचार और जुल्म के चलते चालीस साल पहले पाक छोड़ कर भारत मे बाड़मेर जिले के पाक सीमा से सटे इटादा गांव मे रह रहे थे। लेकिन यह परिवार गांव में पिछले 40 वर्षो से रह रहा था लेकिन इन परिवारो ने कभी अपने रहवासी मकानो का पट्टा नही बनाया जिसका खामियाजा आज इन परिवारो को एक नादान लड़के के प्यार ने दर दर की ठोकरे खाने को मजबुर कर दिया है गांव के दंबगो ने दलित लड़के के परिवारो को गांव से बेदखल कर दिया और उनके झोपों को आग के हवाले कर दिया और गांव में लौटने पर जान से हाथ धोने की धमकी दे डाली । लेकिन पीड़ीत परिवारो द्वारा पुलिस व प्रशासन के सामने न्याय की उम्मीद लिए पिछले दो माह से जिला कलेक्टर से लेकर पुलिस अधीक्षक तक गिड़गिड़ा रहे है लेकिन इन परिवारो को न्याय के लिए दर दर की ठोकरे खाने को मजबुर है गांव में समुदाय विशेष के लोगो द्वारा दलित परिवारो को गांव से बेदखल करने के दो माह बाद भी पीड़ीतो को न्याय नही मिलने के कारण व आगामी विधानसभा चुनाव नजदिक आते देख अब यह मामला शियासी रंग लेता हुआ नजर आ रहा है और भाजपा के नेताओ ने पीड़ितो को न्याय नही मिलने पर बड़े आन्दोलन की चेतावनी दी है और पुलिस व प्रशासन को चेताया है की अगर समय रहते इन परिवारो को न्याय नही मिला और आरोपी गिरफ्तार नही हुए इसका परिणाम प्रशासन को भुगतना पड़ सकता है ।
अगर समय रहते पुलिस व प्रशासन ने इस मामले को गंभिरता से नही लिया तो कही चुनावी वर्ष में यह मामला युपी के मुज्जफरनगर की घटना की तरह फैल नही जाए और सरकार को कही इस मामले में बड़े आन्दोलन को नही झेलना पड़ा । अगर राज्य सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप कर पुलिस व प्रशासन को कड़े निर्देश नही दिए तो यह मामला कही राजनितिक रुप न ले लें । लेकिन जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन की कार्यशेली को देखते हुए प्रशासन किसी बड़े आन्दोलन के इंतजार में है ।

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