जन्म वाचन मंे हजारों की संख्या में उमड़े श्रद्धालुगण
पर्युषण महापर्व का पांचवा दिन
बाड़मेर। थार नगरी बाड़मेर में चातुर्मासिक धर्म आराधना के दौरान स्थानीय श्री जिनकांतिसागरसूरि आराधना भवन में प्रखर व्याख्यात्री मधुरभाषी साध्वीवर्या श्री प्रियरंजनाश्रीजी म.सा. ने पयुर्षण महापर्व के पांचवे दिन विशाल धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए अपने प्रवचन में कहा कि हमारे पर परमात्मा भगवान महावीर स्वामी का महान् उपकार है जिनका जन्म, जीवन निर्वाण सभी कल्याण रूप हैं। कल्याण यानि क्या? कल्य का मतलब है सुख और आण का मतलब देना। जिससे दुनिया सुख-शांति की अनुभूति कर सके उसका नाम है कल्याण। ऐसा कल्याण करने वाले उस प्रभु का आज जन्म कल्याणक वाचन है। भगवान का जन्म हो तब देवों की दुनिया में आनंद छा जाता है। मानवों में भी भाव भरपूर भर जाते हैं। कहा भी है ‘नारका अपि मोदन्ते यस्य कल्याण पर्वेषु’ जिनके जनम के समय एक तेज प्रकाश सम्पूर्ण लोक में प्रसारित हो जाता है। द्रव्य भाव से अंधकार के क्षेत्र में रहे हुए नारकी हैं वो भी ऐसे प्रकाश को देखकर पूछते हैं। तब पुराने नारकी उन्हें कहते हैं कि आज मृत्यु लोक में कोई तीर्थंकर परमात्मा का जन्म हुआ होगा या कोई भी कल्याणक होगा। यह सुनते ही हलूकर्मी जीव अपने भीतर में सम्यक् दर्शन का प्रकाश प्राप्त कर लेते हैं।
उन्होनें आगे कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हमें साक्षात् परमात्मा के जन्म का वातावरण तो नहीं मिला, फिर भी वैसे वातावरण का निर्माण करके तो जन्म की खुशियों में डूबने का अवसर मिला है। हम यों माने के आज चैत्र शुक्ल त्रयोदशी है और आज की पावन घड़ियों में भगवान महावीर का जन्म हुआ है।
हमें भाव जगत् में डूबकर उस जगत् का निर्माण करना है, जिस क्षण में परमात्मा का जन्म हुआ था। यह डूबना ही हमें पार लगाएगा।
साध्वी श्री ने कहा कि तप का उद्यापन अपनी यथा शक्ति अनुसार करना चाहिये। उसमें ज्ञान, दर्शन, चारित्र की सामग्री के सन्मुख परमात्मा पूजन का आयोजन रहेगा।
साध्वी डाॅ. दिव्यांजनाश्री ने कहा कि आज जन्म वाचन होने से परमात्मा की माता द्वारा देखे गये स्वप्नों की बोलियां खरतरगच्छ श्री संघ के भाईयों ने बड़ी बढ़-चढ़ कर ली। अच्छा उत्साह था सभी के दिल में है। आज परमात्मा का पालना झुलाने की बोलियां बोली गई। इसमें राजा सिद्धार्थ, त्रिशला माता, प्रियंवदा दासी के द्वारा बधाई एवं छड़ीदार द्वारा छड़ी पुकारना आदि का सुंदर कार्यक्रम रहा।
इसी के साथ परमात्मा का जन्म वांचन हुआ। आनन्द और उल्लास से भरकर जनता नृत्य करने लगी। घंटे बजने लगे, झूला झुलाने के लिये लोगों में होड़ सी लग गई। खुशी से भरकर सभी ने परस्पर नारियल की चटक खिलाई। इससे पूर्व नियमानुसार श्रद्धालुओं ने बोली बोलकर सपने उतारे।
भगवान महावीर की माता त्रिशला द्वारा देखे चैदह स्वप्न वृषभ, हाथी, सिंह, लक्ष्मीजी, मोक्षमाला, चन्द्रमा, किरण, ध्वजा, कलश, पदम सरोवर, खीर समुद्र, देव विमान, रत्नो की राशि, अग्नि एवं उनके फल प्राप्ति के बारे में बताया। बाद में जन्म कल्याणक महोत्सव श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर राजदरबार, भगवान के माता-पिता, इन्द्र-इन्द्राणी, प्रियवंदा दासी द्वारा भगवान के जन्मोत्सव की बधाई देना आदि दृश्य मनमोहक थे।
इसी के साथ परमात्मा का जन्मवांचन हुआ आनन्द और उल्लास से भरकर हजारों की संख्या में श्रद्वालुगण नृत्य एवम् चामर घुमाने लगे, घण्ट बजने लगे, झुला झुलाने के लिये लोगों में होड़ सी लग गई। खुशी से भरकर सभी ने परस्पर नारियल की चिटक खिलायी। और एक दूसरे के तिलक लगाये।
आदिनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष नैनमल भंसाली एवं महामंत्री शंकरलाल धारीवाल ने बताया कि आराधना भवन में भगवान के मुनीम का लाभ तेजमल केशरीमल बोथरा परिवार व तिलक का लाभ सतीशकुमार मेवाराम छाजेड़ परिवार ने लिया। आराधना भवन में पालने की बोली का लाभ रतनलाल हेमराज डोसी परिवार चैहटन ने लिया। पालणे के साथ साध्वी जी म.सा. के साथ हजारों की संख्या में श्रद्वालु लाभार्थी परिवार के घर गये सभी को नारियल की प्रभावना दी गई।
क्षमामूर्ति अचूंकारी भट्टा नाटक का मंचन सम्पन्न, उमड़ी भारी भीड़-
स्थानीय गोलेच्छा-डूंगरवाल ग्राउण्ड में पूज्य साध्वीवर्या प्रियरंजनाश्री आदि की पावन प्रेरणा से क्षमामूर्ति अचूंकारी भट्टा नाटक का मंचन किया गया।
खरतरगच्छ जैन श्री संघ के महामंत्री नेमीचन्द बोथरा ने बताया कि कार्यक्रम का आगाज भगवान महावीर स्वामी की तस्वीर के आगे नाकोड़ा ट्रस्ट के अध्यक्ष अमृतलाल जैन, खरतरगच्छ जैन श्री संघ के अध्यक्ष मांगीलाल मालू, उपाध्यक्ष भूरचन्द संखलेचा, तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सोहनलाल गोलेच्छा ने दीप प्रज्जवलन कर शुरूआत की।
कार्यक्रम में बालिकाओं द्वारा सुन्दर नृत्य के द्वारा प्रभु वंदना की गई। तत्पश्चात् अलग-अलग भक्ति गीतों पर नृत्य कर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया।
क्रोध के परिणाम एवं क्षमा पर आयोजित नाटक पर जैन समाज की बालिकाओं ने बहुत सुन्दर तरीके से अलग-अलग प्रस्तुतियां देकर नाटक के जरिये यह भी संदेश दिया कि मनुष्य को क्रोध कभी नहीं करना चाहिये। जीवन में एक मिनट का क्रोध मनुष्य की पूरी जिन्दगी बर्बाद कर देता है। मनुष्य को क्रोध आने पर अपने आप पर नियंत्रण रखकर उससे होने वाले दुष्परिणाम से बचना ही समभाव है।
क्षमा मांगने वाला महान् होता है और क्षमा देने वाला भी महान् होता है। क्षमा मांगने से हम छोटे नहीं कहलाते हैं। अपनी भूलों का प्रायश्चित करना ही क्षमा होता है। क्षमा मांगने से टूटे हुए दिलों का मिलन होता है। गलती को मानना और उसे सुधारना ही आत्मोगति का सन्मार्ग है।
इस अवसर पर जैन समाज के सैकड़ों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगभग 3 घंटे तक इस नाटक को अपनी आंखों से निहारती रही और बालिकाओं का हौंसला बढ़ाती रही। पूरे समय कार्यक्रम स्थल पर पैर रखने की भी जगह नहीं थी।
इस अवसर पर रतनलाल बोहरा, वेदमल बोहरा, रतनलाल संखलेचा, गौतमचन्द डूंगरवाल, केवलचन्द संखलेचा, जगदीश बोथरा, ओमप्रकाश भंसाली, केवलचन्द भंसाली, बंशीधर बोथरा, सोहनलाल संखलेचा, बाबुलाल छाजेड़, बाबुलाल लुणिया, सज्जनराज मेहता, कैलाश मेहता, बाबुलाल तातेड़, पुखराज मेहता, किशनलाल वडेरा, वीरचन्द भंसाली, मुकेश जैन, खेतमल तातेड़ सहित शिवाजी ग्रुप, खरतरगच्छ युवा परिषद्, कुशल वाटिका युवा परिषद्, बालिका मण्डल, महिला मण्डल के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं सहित जैन समाज के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अपनी सेवायें दी।






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