भारतीय सैनिकों की हत्या के विरोध में शिवसैनिकों ने किया प्रदर्शन एवं राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन
बाड़मेर।
पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में बर्बरतापूर्ण कार्रवाई करते हुए कल भारतीय सीमा में अनाधिकृत प्रवेश कर पांच भारतीय सैनिकों की निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी गई। इतना होने पर भी राजनैतिक दलों द्वारा इस कायरतापूर्ण कार्रवाई पर मात्र निंदा कर अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर दी गई जो कि घोर निंदनीय है।
शिवसेना के जिला प्रमुख बसंत खत्री ने कहा कि अब पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने का समय आ गया है। अब समय आ गया है जब भारत सरकार को किसी बात की परवाह नहीं करते हुए जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि कुछ ही समय पूर्व पाकिस्तानी सैनिक हमारी सीमा में घुसकर हमारे सैनिकों के सिर काटकर ले गये थे। इतना होने पर भी हमारी सरकार द्वारा पाकिस्तान के समक्ष अपना विरोध दर्ज करवाने के अतिरिक्त कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब पाकिस्तान की हिम्मत और बढ़ गई है और उसने आतंकवादियों के साथ मिलकर हमारे बहादुर सैनिकों को कायरतापूर्ण कार्रवाई करते हुए मौत के घाट उतार दिया। हमारा इतना बड़ा समर्थ एवं सम्पन्न देश होने के बाद भी पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने में नाकाम रहा है। क्या ये सब मात्र वोटों की राजनीति के चलते अपने कत्र्तव्य से मुंह मोड़ना है?
पाकिस्तान की इस घिनौनी करतूत के विरोध में शिवसेना द्वारा बुधवार को अहिंसा सर्किल पर प्रदर्शन कर पाकिस्तान का झण्डा जलाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में शिवसैनिक एवं शहर के कई नागरिक उपस्थित थे।
खत्री ने बताया कि प्रदर्शन के बाद शिवसेना बाड़मेर द्वारा जिला कलक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया जिसमें उनसे पाकिस्तान की ऐसे बर्बतापूर्ण हमले के खिलाफ कठोर कदम उठाते हुए सख्ती से कार्रवाई करने के लिए भारत सरकार को यथोचित निर्देश देने का निवेदन किया गया ताकि भविष्य में पाकिस्तान ऐसी घिनौनी हरकत को अंजाम देने के बारे में सोच भी नहीं सके।
प्रदर्शन एवं ज्ञापन देने वालों में हाकमसिंह भाटी, राजूसिंह सोढा, शेरसिंह पड़ियार, जगदीश बोहरा, गौतम राजपुरोहित, अनवरसिंह बन्धड़ा, हुकमीचन्द खत्री, लीलसिंह उण्डखा, कपिल मालू, कार्तिक डागा, रिंकूसिंह हवेली, राहुल राणेजा, मांगीलाल, भगवानदास ठारवानी, शंकरलाल मोदी, हीरगिरी गोस्वामी, पुखराज खत्री, प्रकाश दर्जी, गणपत आचार्य, नवीन खत्री, सुरेश पचैरी, भगसिंह कपूरड़ी, तुषार राजपुरोहित सहित बड़ी संख्या में शिवसैनिक एवं शहर के नागरिक उपस्थित थे।

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