राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलना तय: सुथार
बाड़मेर
राजस्थानी भाषा की मान्यता की मांग प्रदेश, देश व विदेश में जोर शोर से उठ रही है। भोजपुरी के साथ राजस्थानी को भी मान्यता मिलना तय है। उक्त विचार डॉ हुकमा राम सुथर ने कन्या महाविद्यालय में आयोजित संकल्प पखवाड़ा हस्ताक्षर अभियान के दौरान कही। सुथार बताया की राजस्थानी में दो लाख शब्दों का शब्द कोष है तथा तीन लाख हस्त लिखित ग्रन्थ है।राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए राजनैतिक ईच्छा शक्ति की कमी मूल कारण है।राजस्थानी की मान्यता से ही राजस्थान का विकास संभव है। सुथर ने कहा की राजस्थानी लिपि के अध्ययन की माकूल व्यवस्था जरुरी है तभी प्राचीन साहित्य तथा इतिहास को बचाया जा सकता है।संत और लोक साहित्य पर राजस्थान में जो कार्य हुआ है उसे उजागर करने की जरुरत है।राजस्थानी में लेखन ,अध्ययन,अध्यापन ,शौध का स्टार हिंदी के बराबर है किन्तु राजस्थान में नोकरियो में राजस्थानी भाषा का ज्ञान आवश्यक होना चाहिए।
राजस्थान भाषा संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ने कहा कि राजस्थान व गुजरात के सांस्कृतिक संरक्षण हेतु दोनों ही अकादमियो को मिलकर कार्य करने की जरुरत हैभाटी ने कहा की राजस्थान के विश्व विधालयो में एक राजस्थानी साहित्य,संस्कृति और भाषा का विभाग या चेयर होना चाहिए।
डॉ लक्ष्मी नारायण जोशी ने कहा की गाँधी जी को नमक सत्याग्रह की प्रेरणा राजस्थान के पचपदरा के सेठ की क़ानूनी लड़ाई से मिली थी।राजस्थान के रामदेवजी ने दलित स्त्री स्वतंत्रता की लड़ाई पहले लड़ी थी।राजस्थान के लोक साहित्य में स्त्री सबलता के अनेकानेक स्थल है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान व गुजरात की साहित्यिक शास्त्रीय कविताये डिंगल व पिंगल है।बोलिया अलग अलग है किन्तु भाषाई शास्त्रीयता साहित्यिक और अति प्राचीन है।वैश्वीकरण के वर्त्तमान दौर में हमारे परंपरागत ज्ञान को बचाए रखना और आने वाली पीढ़ी तक पहुचना बड़ी चुनोती है। क्रांतिकारी प्रताप सिंह बारहट और गोविन्द गुरु ने हमें साहित्य व संस्कृति की एक राह बताई है।
जिला सह संयोजक नरेश देव सारण ने कहा की राजस्थान और गुजरात की भाषा साहित्य और संस्कृति की विरासत साझा है इस विरासत को बचने के साथ ही अगली पीढ़ी को इसे रूबरू करने का कार्य साहित्यिक सांस्कृतिक संस्थाओ की है।
इस अवसर पर रमेश सिंह इन्दा ,अनिल सुखानी ,छोटू सिंह पंवार। दिग्विजय सिंह चुली ,सवाई चावड़ा ,जीतेन्द्र फुलवरिया सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित थे
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