साध्वीवर्या प्रियरंजनाश्री के जन्म दिवस पर उमड़ा श्रद्धा का जनसैलाब
बाड़मेर।
थार नगरी बाड़मेर में श्रीजिनकांतिसागरसूरि आराधना भवन में विराजित साध्वीवर्या प्रियरंजनाश्री के 47वें जन्म दिवसपर आज स्थानीय आराधना भवन में गुरू वंदना, शुभकामना कार्यक्रम में श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ पड़ा।
खरतरगच्छ जैन श्री संघ के अध्यक्ष मांगीलाल मालू एवं उपाध्यक्ष भूरचन्द संखलेचा ने बताया कि पूज्याश्री के जन्म दिवस के उपलक्ष मंे आयोजित गुरू वंदना के अन्तर्गत सैकड़ों बच्चों ने मोतियों की बरसात कर आराधना भवन में प्रवेश करवाया। आराधना भवन में चावल की गहुली एवं रंग बिरंगी 47 गहुलियों से एवं हैप्पी बर्थ डे के कार्ड द्वारा प्रवेश द्वार पर बंधाया गया, नृत्य करती एवं जन्म दिन की बधाई देती बालिकाऐं तथा संगीतकार ने अपनी मधुर स्वर लहरियों से जियो हजारों साल की धुन पर बालिकाओं ने नृत्य कर आराधना भवन में समा बांध दिया।
47 दीपकों तथा रंग-बिरंगी चावल की गहुलियों से मांडणा सजाया गया। इसके बाद पूज्याश्री को गुरू वंदन से कार्यक्रम की शुरूआत की गई। जन्म दिवस कार्यक्रम में भावना, संगीता संखलेचा, दीपिका, जिज्ञासा तातेड़, अशोक बोथरा, पूजा, पूजा मालू इत्यादि ने कैसे करें गुणगान आपका शब्दों की बारात नहीं इत्यादि जन्म दिन गीत प्रस्तुत किये। पवन संखलेचा ने जन्म दिन पूज्य श्री का उपहार आपको देने आया हूं गीत की प्रस्तुति दी। जन्म दिवस के कार्यक्रम में गुड्डी, लक्ष्मी, सोनू, ज्योति इत्यादि ने अपने उद्बोधन में जन्म दिन की बधाईयां दी।
लूणकरण सिंघवी ने कहा कि जिनके जीवन में गुरू नहीं है उनका जीवन कभी सुखी नहीं हो सकता। इस अवसर पर ज्यादा से ज्यादा तप, त्याग कर गुरूवर्या का जन्म दिवस सफल बनाना चाहिये।
वीरचन्द भंसाली ने कहा कि 31 का अर्थ संसार, 8 का अर्थ कर्म एवं 13 का अर्थ मोक्ष है। 31 से 13 तक पहुंचना है तो 8 को पार करना होगा। बाबुलाल छाजेड़ ने कहा कि शब्दों की सुरावली के द्वारा आपके यशस्वी संयम जीवन की अनुमोदना की।
खेतमल तातेड़ ने कहा कि निर्मल जीवन के 46 वर्ष प्रसन्नापूर्वक पूर्ण किये हैं एवं आपका सरल, उम्दा जीवन नहीं हमारा आलम्बन है। आज के इस शुभ दिन पर आपके दीर्घायु होने की मंगल कामना करते हैं।
खरतरगच्छ संघ की ओर से मांगीलाल मालू ने बधाई दी। उन्होनें कहा कि परम उपकारी, परम वंदनीय, जन-जन के हृदय को स्पर्श करने वाली प्रखर व्याख्यात्री प.पू. गुरूवर्या प्रियरंजनाश्री म.सा. के 47वें जन्म दिवस के परम पावन अवसर पर श्री खरतरगच्छ जैन संघ, बाड़मेर की ओर से कोटि-कोटि वंदन एवं हार्दिक बधाई। इसके बाद खरतरगच्छ जैन श्री संघ की ओर से अभिनंदन-पत्र का वाचन कर पूज्या श्री को समर्पित किया गया। इसी प्रकार बड़ौदा संघ की ओर से भी अभिनन्दन-पत्र दिया गया। इसी कड़ी में छोटे बच्चों ने एक ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ शीर्षक लघु नाटिका प्रस्तुत की।
साध्वी प्रियशुभांजनाश्री ने अपने मुखारविंद से गुरूवर्या के गुणगान को अंग्रेजी व हिंदी भाषा में गाया। उन्होनें कहा कि गुरूवर्या अपने कार्य में दृढ़ संकल्पित हैं, एक बार निर्णय किया तो उस कार्य को हर हाल में पूरा करते हैं। उनका व्यवहार सभी के साथ सुमधुर व मिलनसार है। सभी को वे अपने लगते हैं। संघ समाज के उलझे कार्य चंद दिनों में सुलझाने की कला रखते हैं। अपनी ओजस्वी वाणी के द्वारा युवा वर्ग में जागृति लाने का कार्य गुरूवर्या श्री का है। अनेक गुणों से सम्पन्न ऐसे गुरूवर्या श्री को हम अंतर्मन से बधाई देते हैं।
डाॅ. प्रियदिव्यांजनाश्री ने समय की अल्पता को देखते हुए मात्र दो शब्द में सार व्यक्त कर दिया कि गुरूजनों के गुणों का गुणगान गाने बैठे तो कभी पूरे नहीं होंगे और इन गुणों को व्यक्त करने के लिये मेरे पास शब्दों की अल्पता है। मेरे जीवन को तारने वाले आप श्री हैं और आपको अपना जीवन सौंप दिया है।
अंत में कार्यक्रम का समापन करते हुए गुरूवर्या प्रियरंजनाश्री ने चंद शब्दों में जनता को बहुत ही सुंदर प्रतिबोध दिया। जन्मोत्सव उनका मनाया जाता है जिनका पुर्नजन्म न हो। किन्तु इन सबकी बधाईयां मुझे याद दिला रही हैं कि आपको अपना जनम सफल करना है। ये सभी कार्य मैंने नहीं किये बल्कि देवगुरू की असीम कृपा से हुए हैं, गुरूजनों व माता-पिता का उपकार से हैं। अंत में अपनी हार्दिक इच्छा व्यक्त कर कहा कि कत्लखाने जा रही गायों को छुड़ाने व त्याग तप करके जन्म सफल बनाने का संकल्प लें।
मंच संचालन सोहनलाल अरटी द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के पश्चात् खरतरगच्छ जैन श्री संघ के अध्यक्ष मांगीलाल मालू द्वारा प्रभावना दी गई।
इससे पूर्व आज सुबह सभी जैन मंदिरों के पुजारियों को जन्म दिवस के उपलक्ष में मिठाई के पैकेट वितरित किये गये। जन्म दिवस के उपलक्ष मंे रात्रि आराधना भवन में एक भक्ति संध्या का भी आयोजन किया गया।
सामूहिक सामायिक में उमड़ी महिलाओं की भारी भीड़-
साध्वीवर्या के जन्म दिवस के उपलक्ष में सामूहिक सामायिक आराधना करवाई गई। इसके बाद नर्क में जीवों को कैसी यातनाऐं दी जाती हैं उस सम्बन्ध में प्रोजेक्टर पर दृश्य दिखाये गये तथा उस पर पूज्या श्री ने विस्तार से समझाया। इसके पश्चात् प्रभावना वितरित की गई।
शिविर में भूरचंद संखलेचा, बाबुलाल छाजेड़, जगदीश बोथरा, पारसमल मेहता, बाबुलाल तातेड़, नरेश लुणिया, रमेश मालू, खेतमल तातेड़, उदय गुरू सहित ने अपनी सेवाऐं दी।
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