क्रोध से क्रोध को जीता नहीं जाता- साध्वी प्रियरंजनाश्री
बाड़मेर। 
थार नगरी बाड़मेर में चातुर्मासिक धर्म आराधना के दौरान स्थानीय श्री जिनकांतिसागरसूरि आराधना भवन में साध्वीवर्या श्री प्रियरंजनाश्रीजी म.सा. ने चातुर्मास के दसवें दिन अपने प्रवचन में कहा कि अफीम के पौधे पर लगे फल का किसी भी दिशा में निरीक्षण किया जाये और उसमें छिद्र किया जाये तो उससे निकलने वाला दुग्ध, दुग्ध न होकर विष ही होता है। उसी प्रकार ज्ञानियों ने इस संसार को अपने ज्ञान चक्षुओं से देखा, इसका निरीक्षण किया तो उन्हें संसार में दुःख, व्याधि, वेदना के सिवाय अन्य कुछ भी नहीं दिखाई दिया। अतः ज्ञानी भगवंत ने संसार को असार माना है। परन्तु अज्ञानता के कारण आज का मनुष्य संसार के स्वरूप को समझ नहीं पाता है।
अक्सर देखा जाता है जहां अज्ञान है वहां ममत्व का भाव अधिक दृष्टिगोचर होता है। आपने मधुमक्खी को देखा होगा, वह दिन भर इधर-उधर उड़ती हुई अपने छत्ते में फूलों का रस एकत्रित कर मधु जमा करती रहती है। किन्तु एक दिन कोई बहेलिया आकर छत्ते सहित मधु को ले जाता है। मूषक रात-दिन श्रम करके अपना बिल बनाता है। लेकिन एक दिन अचानक कोई सर्प उन बिलों में प्रवेश कर मूषकों को अपना आहार बनाकर अपना अधिकार कर लेता है। पशु-पक्षी तो अज्ञानतावश ममत्व से बंधे हैं परन्तु आज के अविवेकी मनुष्य भी ममत्व के पाश में बंधे हुए हैं। धन को जीवन का सर्वस्व मानकर वे नित नूतन पाप करके धन का परिग्रह बढ़ाते जाते हैं। पर वे ये नहीं जानते कि बिना पुण्य इकट्ठा किया हुआ धन भी हमारे जीवन में उपयोगी नहीं बनता। धन से व्यक्ति मिठाई आदि खाद्य पदार्थ उसका उपभोग करने के लिए प्राप्त कर सकता है पर निरोगी शरीर तो पुण्य से प्राप्त होता है। धन से व्यक्ति घड़ी खरीद सकता है, पर घड़ी पहन सके वैसा हाथ पुण्य से ही प्राप्त होता है। अतः जहां धन की शक्ति समाप्त होती है वहां धर्म की शक्ति का प्रारम्भ होता है। इसलिये जीवन में धर्म का पुण्यवान बनना चाहिये।
साध्वी प्रियदिव्यांजनाश्री ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि कषाय का अर्थ समझने जैसा है। जिन प्रकृतियों से संसार का लाभ होता हो वे कषाय कहलाते हैं। आज तक इन चारों कषायों ने हमारी बहुत बर्बादी की है, ये हमारे वास्तविक शत्रु हैं और फिर भी अफसोस की बात यह है कि ये चारों हमारे मित्र बनकर सदा हमारे साथ रहते हैं और शत्रुता का कार्य करते हैं। हमें इन वास्तविक शत्रुओं पर विजय पाना चाहिये।
आज हमने अपनी दुनिया में हमारी मान्यताओं के आधार पर सैकड़ों शत्रुओं को पैदा कर लिया है। किन्तु वास्तव में वे हमारे शत्रु नहीं हैं। सच्ची विजय तो तभी मानी जायेगी जब हम अपने आप पर विजय प्राप्त करें, अपने आप को नियंत्रित करें। कहा भी है- अपने लक्ष्य को भेद न पाए वह तीर ही क्या? जलती आग बुझा न पाए वह नीर ही क्या? संग्राम में लाखों पर विजय पाने वाला भी अगर अपने आप पर विजय न पाए वह वीर ही क्या?
पहला शत्रु है क्रोध, दूसरा मान, तीसरा माया और चैथा लोभ। ये चारों हमारे पक्के शत्रु हैं। इन्हें हमें पराजित करना है। तो सबसे पहले यह सोचा जाए कि क्रोध आता क्यों है? इष्ट का वियोग और अनिष्ट का संयोग जीव के क्रोध का कारण है। सामान्यतया अपने मन की न होने पर जीव क्रोधित हो उठता है और यही हमारी सबसे बड़ी कमजोरी भी है। हमारे मन की न होने पर हम क्यों क्रोधित हो जाते हैं। संसार के प्राणी मात्र को कर्मानुसारी बुद्धि मिली है। कोई हमारी बात न भी माने, इससे हमें उत्तेजित नहीं होना चाहिये। हमें शांति से परिस्थिति का विचार करना चाहिये।
साध्वी प्रियशुभंजनाश्री ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि क्रोध को हमारे महापुरूषों ने आग और नाग से भी भयंकर बताया है। आग और नाग हमारा एक भव बिगाड़ते हैं, किन्तु क्रोध भव-भव बर्बाद कर देता है। क्रोध के कारण मरकर नाग बनना पड़ता है। क्रोध को शांति से नष्ट करो, हम तो क्रोध के सामने क्रोध करना ही सीखे हैं। किन्तु याद रखना क्रोध से क्रोध पर विजय प्राप्त नहीं की जा सकती। क्रोध पर विजय पाने का शास्त्र है क्षमा।
क्या खून से सने कपड़े खून से धोए जाते हैं। उन्हें धोने के लिए निर्मल जल चाहिए, ठीक वैसे ही क्रोध पर विजय पाने के लिए क्षमा का जल चाहिए। क्षमा रूपी जल के फव्वारों के बिना क्रोध रूपी अग्नि की ज्वालाएं शांत नहीं हो सकती।
खरतगच्छ चातुर्मास कमेटी के अध्यक्ष मांगीलाल मालू और उपाध्यक्ष भूरचन्द संखलेचा ने संयुक्त बताया कि आज प्रवचन में नगर परिषद् सभापति उषा जैन भी उपस्थित थी। प्रवचन में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ रही है। आसपास की जगहों से भारी मात्रा में श्रद्धालु प्रवचन में आ रहे हैं। आराधना भवन में साध्वी प्रियरंजनाश्री की निश्रा में प्रातः 6 से 7 बजे युवाओं के लिए स्वाध्याय, 9 से 10 बजे प्रतिदिन प्रवचन, हर शनिवार को महिलाओं के लिए शिविर, हर रविवार को बच्चों के लिए शिक्षा एवं संस्कार शिविर, प्रतिदिन 3 से 4 बजे हर आयु वर्ग के लिए स्वाध्याय का कार्यक्रम होगा।

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