धोनी को टीम में लेने पर हुआ था विरोध
मुंबई।
चैंपियंस ट्रॉफी और ट्राई सीरीज पर कब्जे के बाद टीम इण्डिया के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी की खूब वाहवाही हो रही है लेकिन एक वक्त ऎसा भी था जब धोनी को टीम में लेने का काफी विरोध हुआ था। पूर्व मुख्य चयनकर्ता किरण मोरे ने ही 2003-04 के चतुष्कोणीय नैरोबी टूर्नामेंट के लिए पहली बार धोनी को "ए"टीम में लिया था।
मोरे ने बताया कि हमने झारखण्ड के इस लड़के को पहली बार भुवनेश्वर में ईस्ट जोन की ओर से खेलते हुए देखा था। हम उसकी हिटिंग एबिलिटी से काफी प्रभावित हुए थे। इसके बाद हमने उसे मोहाली में दलीप ट्रॉफी के फाइनल में खेलते हुए देखा। फाइनल ईस्ट जोन और नॉर्थ जोन के बीच खेला गया था। धोनी ने फाइनल में अच्छा प्रदर्शन किया था जिससे हम काफी प्रभावित हुए।
2003-04 में टीम इण्डिया को एक ऎसे विकेट कीपर की जरूरत महसूस हो रही थी जो वनडे मैचों में अच्छी बल्लेबाजी भी कर सके। उस समय दिनेश कार्तिक और पार्थिव पटेल बतौर विकेट कीपर टीम इण्डिया के लिए खेल रहे थे लेकिन चयनकर्ता उनके प्रदर्शन से खुश नहीं थे। उस वक्त ऑस्ट्रेलिया के एडम गिलक्रिस्ट अच्छे विकेट कीपर के साथ साथ बेहतर बल्लेबाज के रूप में पहचाने जाते थे।
टीम इण्डिया को उनके जैसे ही विकेट कीपर की जरूरत थी। बकौल मोरे पटेल और कार्तिक को जब भी मौका मिला,दोनों ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन दोनों काफा यंग थे,इसलिए राहुल द्रविड़ को विकेट कीपिंग करनी पड़ती थी। विकेट कीपिंग से द्रविड़ की बल्लेबाजी प्रभावित हो रही थी। हम ऎसा नहीं चाहते थे। इसलिए हमने धोनी को मौका देने का फैसला किया। धोनी पहले के कुछ मैचों में तो फ्लॉप रहे लेकिन बाद में उन्होंने लय पकड़ ली।
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