अलग तेलंगाना पर फैसला आज! 
हैदराबाद। कांग्रेस ने अलग तेलंगाना राज्य बनाने का मन बना लिया है। कांग्रेस कार्यसमिति मंगलवार को तेलंगाना पर अहम फैसला ले सकती है। कार्य समिति में फैसले के बाद संसद के इसी सत्र में तेलंगाना पर बिल लाया जा सकता है। हालांकि कांग्रेस के भीतर इस फैसले को लेकर विरोध है। 
दरअसल तेलंगाना मुद्दे पर आंध्र प्रदेश एक बार फिर उबल रहा है। सीमांध्र यानी रायलसीमा और तटीय इलाके से आने वाले तमाम केन्द्रीय मंत्रियों ने इस्तीफा देने की धमकी दी है। मंगलवार शाम आखिरी फैसला लेने के लिए कांग्रेस कार्य समिति की बैठक होगी। 

रॉयल तेलंगाना हो सकता है नाम
सूत्रों के मुताबिक नए राज्य का नाम रायल-तेलंगाना हो सकता है। तेलंगाना में आदिलाबाद, निजामाबाद, करीमनगर, मेडक, वारंगल, खम्मम, रंगारेaी, नालगोंडा, महबूबनगर और हैदाराबाद जिलों के अलावा रायलसीमा के दो जिलों कुरनूल और अनंतपुर को भी जोड़ने का प्रस्ताव है।


पांच साल तक हैदराबाद राजधानी
दलील ये है कि ऎसा करने पर कृष्णा नदी के जल बंटवारे का सवाल खत्म हो जाएगा। फॉर्मूले के मुताबिक हैदराबाद पांच सालों तक दोनों राज्यों की राजधानी रहेगा। इस दौरान आंध्र प्रदेश की नई राजधानी बनेगी और हैदराबाद रायल-तेलंगाना की राजधानी रहेगी। हालांकि तेलंगाना समर्थकों के मुताबिक इस फार्मूले में तर्क कम और राजनीतिक हित की चिंता ज्यादा है। माना जा रहा है कि ऎसा करके कांग्रेस तेलंगाना का जातीय समीकरण अपने पक्ष में करना चाहती है। लेकिन तेलंगाना एक्शन कमेटी संतुष्ट है । 


रेड्डी के इस्तीफे की पेशकश

उधर खबर ये भी है कि किरण कुमार रेड्डी ने अपने इस्तीफे की पेशकश की है ताकि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा कर नए राज्य का निर्माण शुरू किया जाए। कानून व्यवस्था के लिहाज से भी ये अच्छा होगा।


बस औपचारिकता


हाईकमान के रूख से साफ है कि तेलंगाना पर फैसला सिर्फ औपचारिकता है। उधर, विपक्ष का आरोप है कि ये कांग्रेस का सियासी दांव है, वो तेलंगाना में समर्थन और आंध्र में विरोध का ड्रामा कर रही है। 2009 में भी घोषणा के बाद तेलंगाना गठन की प्रक्रिया टाल दी थी। 


1,000 अतिरिक्त जवान तैनात

अलग तेलंगाना राज्य के गठन के पक्ष में फैसला आने पर किसी अनहोनी की आशंका से बचने के लिए आंध्र प्रदेश में अर्द्धधसैनिक बलों के एक हजार अतिरिक्त जवानों को तैनात किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से मुहैया कराए गए ये जवान राज्य में पहले से मौजूद अर्द्धधसैनिक बलों के 1200 जवानों के साथ मिलकर सुरक्षा स्थितियों पर नजर रख रहे हैं। इन्हें रायलसीमा और तटीय आंध्र के उन इलाकों में तैनात किए जाने की संभावना है, जहां अलग तेलंगाना के पक्ष में फैसला लेने पर विरोध के स्वर उठ सकते हैं।


सूत्रों के अनुसार, कानून और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए केंद्रीय बलों के अलावा कर्नाटक के 200 हथियारबंद पुलिस और 100 तमिलनाडु पुलिस के जवानों को हैदराबाद और उससे सटे इलाकों में तैनात किया गया है। जबकि हाल ही में नक्सल विरोधी अभियानों के लिए आंध्र में तकरीबन चार हजार सुरक्षा बलों के जवान पहले से ही तैनात किए गए हैं। गृह मंत्रालय राज्य सरकार के अधिकारियों से नियमित संपर्क में हैं और हालात पर नजर रखे हुए है।

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