वादियों में गूँजा पानी और हरियाली का पैगाम
- डॉ. दीपक आचार्य
राजस्थान का सरहदी प्रतापगढ़ जिला इन दिनों नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर है। बरसाती मौसम ने नदी-नालों को उफनाए रखा है और वादियों में हरियाली चादर बिछी हुई है, पेड़-पौधे नई ताजगी का संदेश गुनगुना रहे हैं और लोक जीवन में परिवेशीय ताजगी की अजीब सी मस्ती का ज्वार उमड़ने लगा है। पर्वतीय क्षेत्रों में फैले हुए दर्शनीय स्थलों में पिकनिक का लुत्फ उठाने वालों का सिलसिला जारी है वहीं काश्तकारों के चेहरों पर खुशी दमकने लगी है। खेतों में फसलों और जंगलों में हरियाली की मुस्कार थिरकने लगी है।
प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर प्रतापगढ़ जिले का नज़ारा इन दिनों इतना मनमोही है कि देश-विदेश के दूसरे पर्वतीय स्थलों के मुकाबले कांठल क्षेत्र कहीं उन्नीस नहीं ठहरता। नदियों में भरपूर वेग से बहता पानी हो या फिर बरसात होने पर जगह-जगह उन्मुक्त यौवन छलकाते हुए बह निकलने वाले झरने। चारों तरफ प्रकृति का उत्सव जाने कितने रंगों और रसों के साथ उल्लास का दरिया उमड़ाने लगा है। पर्वतीय पर्यटन के मामले में प्रतापगढ़ इन दिनों अलग ही रंगत दिखाने लगा है।
मेवाड़, वागड़ और मालवा की लोक संस्कृतियों का यह संगम स्थल जनजाति बहुल है जहाँ जनजातीय लोक संस्कृति और परंपराओं का संगीत भी प्रकृति के उल्लास में शामिल होकर जन-मन में उत्सवी आनंद का ज्वार उमड़ा रहा है। पर्वतीय पर्यटन की अपार संभावनाओं से युक्त प्रतापगढ़ जिले में वे सारे कारक मौजूद हैं जो इसे देश के दूसरे पर्वतीय क्षेत्रों के मुकाबले उपयुक्त एवं बेहतर बनाते हैंं।
इसके साथ ही प्रतापगढ़ जिला एडवेंचर टूरिज्म, ट्राईबल टूरिज्म आदि की आधुनिक थीम के लिहाज से भी वह उपयुक्त क्षेत्र है जहाँ सुनियोजित काम किया जाए तो देश भर में यह अपनी नई पहचान स्थापित कर सकता है। यहाँ के पहाड़ों व जंगलों में परंपरागत जड़ी-बूटियों और वानस्पतिक उत्पादों, औषधीय पादपों की भरमार है जिससे यह हर्बल टूरिज्म को भी साकार करने की क्षमता रखता है।
एक ओर परंपरागत नैसर्गिक संपदाओं का व्यापक एवं अखूट भण्डार है वहीं दूसरी ओर हाल के वर्षों में हुए बहुआयामी विकास की बदौलत प्रतापगढ़ जिला आज राजस्थान में निरन्तर विकास करने वाले जिलों में शुमार हो चला है। राज्य सरकार के अथक प्रयासों से प्रतापगढ़ जिले के विकास को नई दिशा और दृष्टि प्राप्त हुई है।


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