सिवाना में छत गिरने से पांच मासूमो की मौत 

बाड़मेर।
राजस्थान के बाड़मेर जिले के सिवाना थाना क्षैत्र के काठाड़ी गांव में एक पुराने मकान का छत का छजा गिरने से उसके नीचे बैठे 5 मासूम बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई, वही तीन अन्य गभीर रूप से घायल हो गये जिन्हे जोधपुर रैफर किया गया। मकान के छजे के नीचे दबकर 5 बच्चों के मौत की खबर सुनते ही गांव में मातम का माहौल छा गया। घटना के बाद वृताधिकारी बालोतरा रामेश्वरलाल मेघवाल मय जाब्ता पुलिस थाना सिवाना के थानाधिकारी सुमेरसिंह मय जाब्ता तथा पुलिस थाना समदड़ी के थानाधिकारी व मय जाब्ता ने मौके पर पहुंचकर गम्भीर घायलो को राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र काठाड़ी ले गये जहां उनकी हालत गम्भीर होने से चिकित्सको ने जोधपुर रैफर किया। साथ ही मृतको का पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनो को सुपुर्द कर दिए हैं । पुलिस के मुताबिक सिवाना से 3० किलोमीटर दूर काठाडी गांव में एक पुराने मकान के छजे के नीचे अशोक उम्र 11 वर्ष पुत्र सोना जाति सरगरा व उसका छोटा भाई किना उम्र 5 वर्ष, दिनेश उम्र 14 वर्ष पुत्र दीपाराम जाति सरगरा, प्रकाश उम्र 1० वर्ष पुत्री पारसनाथ जोगी व उसकी छोटी बहन खरगी उम्र 8 वर्ष, तला उम्र 5 वर्ष पुत्र मूलनाथ जोगी व संतोष उम्र 5 वर्ष पुत्री मूलनाथ जोगी तथा कृष्णपाल उम्र 1० वर्ष पुत्र खंगारसिंह राजपुत सभी निवासी काठाडी मकान के छजे के नीचे खेल रहे थे कि अचानक पुराने मकान का छजा गिर गया जिससे अशोक, किना, दिनेश, प्रकाश और खरगी की दबने से मौके पर ही मौत हो गई। जबकि तला, संतोष व कृष्णपाल गम्भीर घायल हो गये जिन्हे जोधपुर रैफर किया गया जहां उनका उपचार चल रहा हैं।
हादसे के बाद गमगीन हुआ सिवाना 
काठाडी गाँव में हुए इस हादसे के बाद इलाके में शोक की लहर दौड़ गई हैं। हादसे के बाद आसपास के कई गाँवों के लोग मौके पर पहुंचे और मृतको के परिजनों को सांत्वना दी। वहीँ पुलिस और प्रशासन के अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौके पर पहुंचे और वहाँ की स्थिति जानी।
मकानों की स्थिति पर था संशय लेकिन प्रशासन था मौन 
बाड़मेर के इस इलाके में खासकर काठाडी गाँव में करीब डेढ़ साल पहले मकानों में दरारे आने की घटना ने राष्ट्रिय स्तर पर सुर्खियाँ तो बटोरी थी लेकिन प्रशासन की नींद नहीं खुली। सभी ने चिल्ला चिल्ला कर कहा था कि इस इलाके में रहना अब खतरे से भरा हैं और इसकी पड़ताल की जानी चाहिए लेकिन प्रशासन ने दो दिन की चिल्ल-पों के बाद मामले को भुला दिया था जबकि कई मकानों में भू गर्भीय हलचल से दरारें आने की पुष्टि भी हो चुकी थी।

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