युवा वर्ग की उपेक्षा राश्ट्र हित में नहीं : मृदुरेखा चौधरी 

बाड़मेर 
भाजपा नेता डॉ. मृदुरेखा चौधरी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर एक गहरी आशंका व्यक्त की है कि हर समय राजनीति करना उचित नहीं है समाज के सोश्यिल आस्पेक्ट पर भी चिन्तन करना जरूरी होता है। ये बात उन्होने बलदेव नगर में एक युवाओं के जागरूकता कार्यक्रम में कहीं। 
डॉ. चौधरी ने बताया कि विगत वशोर से युवा व बुर्जुग वर्ग का अनुपात बिगड़ रहा है। आज भारत युवा भारत बन चुका है। जहां युवाओं की 73 प्रतिशत जनसंख्या है। पगड़ी धारियों की संख्या निरन्तर कम हो रही है, जो दुखद विशय है लेकिन युवा वर्ग की नफरी निरन्तर ब़ने से खुशी का विशय है, क्यों कि दोनों ही वर्ग राश्ट्र धरोहर है। इन्हे सम्भालने की सतत आवश्यकता है। बुजुर्ग वर्ग को जहां संभालकर रखना है वहीं युवा वर्ग संवार कर रखना है। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। कल बलदेव नगर में एक सामाजिक समारोह में युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि डॉ. चौधरी ने समाज के तमाम पक्षों के चिन्तन के आधार पर एक व्यक्त किया कि आज युवा वर्ग के लिए किसी प्रकार की नीति नहीं है। व्यावसायिक शिक्षा बहुत महंगी होने से आम युवा उस तक पहुंच नहीं पा रहा है। एक तरफ सशक्त अमेरिका भारतीय युवा की योग्यता से घबरा रहा है, वहीं दूसरी तरफ भारतीय व्यवस्था युवाओं को रोकने के लिए गलत नीतियों का इस्तेमाल कर रही है। मलसन 8 वीं कक्षा तक सभी को उत्तीर्ण मानना, समय पर छात्रवृति उपलब्ध नहीं कराना, अन्धाधुध स्कूलों को क्रम्मोनत करना, गरीब किन्तु होनहार प्रतिभाशाली युवाओं को अच्छी महंगी शिक्षा प्राप्त नहीं होना,व्यावसायिक महंगी शिक्षा निजी हाथों में सुपुर्द करना, नौकरी पेशा के लिए तीन चार परीक्षाओं से गुजरना, रोजगार अवसरों का अभाव, रोजगार ब्यूरों का अभाव, डिग्री पा्यक्रमों और प्रतियोगिता परीक्षा पाठ्यक्रमों में समन्वय का अभाव, अति होनहार प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को सरकारी सुविधाओं का अभाव, दशा एवं दिशा के समन्वय का अभाव, नैतिक शिक्षा का अभाव, भाई भतीजवाद का बोलबाला, सहीं सुविधा समय पर उपलब्ध नहीं होने की युवा अपने रास्ते से भटक रहे है। आज एक ऐसी मौलिक शिक्षा की आवश्यकता है जो कि युवाओं को सस्कारवान तो बनाये ही परन्तु स्वावलम्बी भी बनाये। आज कुल जनसंख्या का लगभग 73 प्रतिशत युवा वर्ग है, युवाओं की दशा एवं दिशा के लिए देश की विशोश नीति की आवश्यकता है, जिसके माध्यम से युवा समाज और राष्ट्र का बोझ अपने मजबूत कन्धो पर आसानी से उठा सके।

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