जैसलमेर के धोरों से निकला "रत्न" 

नई दिल्ली। 
राजस्थान के जैसलमेर के अनजाने से गांव लुद्रावपुर के एक स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ने वाले वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन न केवल फिल्मों में काम करेगा बल्कि अपनी पहली ही फिल्म में सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार भी चुना जाएगा। शुक्रवार को राठौड़ को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने देख इंडियन सर्कस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। उसे यह पुरस्कार एक अन्य बाल कलाकार मिनॉन के साथ संयुक्त रूप से दिया गया है। 

पारंपरिक वेशभूषा में
पारंपरिक वेशभूषा में स्टेज पर अवार्ड लेने पहुंचे राठौड़ के लिए जोरदार तालियां बजीं। उसने भी अपनी मासूम मुस्कान से लोगों का शुक्रिया अदा किया। वीरेंद्र ने कहा, मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि फिल्म में काम किया है और राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हुआ हूं। उसने बताया कि जब मालूम चला कि मेरा चयन सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार के लिए हुआ है तो न तो मुझे न मेरे परिवार वालों को इस बात का यकीन हुआ।

1180 में से चयन
इस फिल्म में ऑडिशन के लिए राठौड़ को 1180 बच्चों में चुना गया। एक विनोदशील लेकिन जिम्मेदार किशोर की भूमिका को इस बाल कलाकार ने पूरी स्वाभाविकता और सहजता से निभाया है। पुरस्कार पाकर राठौड़ बेहद खुश है। उसने कहा कि फिल्म में काम करने के बाद उसकी जिंदगी बदल गई हैऔर उसके परिवार और गांव को एक नई पहचान मिली है। फिर भी इसका मतलब यह नहीं कि वह अपनी पढ़ाई छोड़ देगा। 

पढ़ाई संग अभिनय
उसने कहा कि पढ़ना अच्छा लगता हैऔर भले ही वह आगे और फिल्मों में काम करे लेकिन अपनी पूरी पढ़ाई जारी रखेगा। उसकी तमन्ना है कि वह उच्च शिक्षा हासिल करे। फिल्म में अभिनय के दौरान भी इस बाल कलाकार ने एक तरफ काम का पूरा मजा लिया और दूसरी तरफ उसका ध्यान पढ़ाई में भी लगा रहा।

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