आम आदमी की सवारी साईकिल पर ख़ुफ़िया निगाहे ...
बाड़मेर ,
हादसे के बाद चंद दिनों तक ही पुलिस जागरूक रहती है, धर पकड़ के साथ कई तरह के कदम उठाए जाते हैं। लेकिन कुछ दिन बीतते ही फिर से नये नियम कूड़े के ढेर में ही मिलते हैं। फिर एक और हादसा होता है और नये नियम फिर धरा पर . एस ही कुछ देखने को मिल रहा है बाड़मेर में जहा हैदराबाद में हुए बम धमाकों से अहमदाबाद और जयपुर में एक साथ हुए श्रंखलाबद्ध बम धमाकों की याद ताजा करा दी है। बम धमाकों में साईकिल उपयोग करने के तरीके से वाकिफ पुलिस ने एक बार फिर साईकिल चोरो और साईकिल विक्रेताओ को सख्ती से नियमो में लेने का काम शुरू कर दिया है . पुलिस ने साईकिल विक्रेताओं से साईकिल खरीदने वालों की जानकारी मांगने के साथ साईकिल खरीदने के लिए आवश्यक पहचान पत्र होना भी आवश्यक कर दिया था जिसका अब सख्ती से अमल शुरू हो गया है।प्राप्त जानकारी के मुताबित हेदराबाद में हुए बम धमाको के बाद देश भर में इस बात का अलर्ट जरी किया गया था की देश में बिकने वाली साईकिल के खरीरदारो पर नजर रखी जाये और एस ही अलर्ट सरहदी बाड़मेर में भी पंहुचा जिसके चलते बाड़मेर पुलिस ने बाड़मेर शहर में तिन साईकिल विक्रेताओ को पाबंद किया है . उन्हें इस बात की हिदायत दी है की उनकी दुकान से बिकने वाली हर साईकिल के खरीरदार का पहचान पत्र , निवश पहचान कार्ड और एक फोटो की प्रति स्किल बेचने से पहले जरुर ले लेवे . इतना ही नही पुलिस ने इस बात से भी आगाह किया है की सेकेण्ड हैंड साइकिलो को बेचने के दोरान भी इसी तरह की कार्यवाही को अंजाम दिया जाये . पुलिस ने इन दुकानदारो से ग्रामीण इलाको में जाने वाली साइकिलो के पहचान नम्बर और जानकारी अपने पास रखने की बात भी कही है .
इस बार भी हादसे के बाद तेजी - रेतीले बाड़मेर में साईकिल पर ख़ुफ़िया निगाहों का यह न्य मामला नही है लेकिन हर बार की तरह इस बार भी एक हादसा होने के बाद इसमें तेजी ली गई है . गोरतलब है की गुजरात के अहमदाबाद में जुलाई 2008 , मई 2008 जयपुर बम धमाका , मालेगाव बम धमाका और अजमेर में 2007 में हुई धमाको के बाद साईकिल पर सख्ती की बात धरातल पर नजर आई थी जो की चंद दिनों बाद गायब हो गई . अब आंतक ने हेदराबाद को लहू लुहान किया है और फिर शुरू हो गई है सख्ती साईकिल पर .
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