अनुसंधान वैज्ञानिक है सुमन, बालिका शिक्षा की खुलकर पेरवी
बाड़मेर ,
जिन आँखों ने बचपन में ही कुछ बड़ा करने का सपना देखा हो उसे भला सतरंगी जहा बसने में बनाने में कोण रोक सकता है . एस ही कुछ सुमन खत्री ने सपना देखा और उसे हकीकत की धरा पर उतरा . बाड़मेर जेसे इलाके में झा बेटियों को शिक्षा से बरसो तक दूर रखा जाता रहा है और आज भी बराबरी के अधिअक्र के लिए आवाज बुलंद करती नजर आती है उसी बाड़मेर में बहु बन कर आने के बावजूद सुमन ने अपनी पढाई जारी रखी और आज वह अनुशंधन वैज्ञानिक के पद पर कार्य कर रही है . गुजरात के अहमदाबाद स्थित होमी जह्गिर भाभा प्लाज्मा अनुशंधन केंद्र में मई 2003 में प्लाज्मा अनुसंधान के लिए एक वैज्ञानिक के रूप बीते दस साल से काम कर रही है . यह देश की प्रमुख अनुसंधान संगठन में से एक है जहा बुनियादी प्लाज्मा भौतिकी, चुंबकीय और प्लाज्मा प्रौद्योगिकियों सहित प्लाज्मा विज्ञान के विभिन्न पहलुओं के बारे में अनुसंधान किया जाता है इतना ही नही सुमन वर्तमान में एक अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परियोजना आईटीईआर (इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर) पर काम कर रही है। जिसमे सुमन ने एक कंप्यूटर कोड विकसित किया है और आईटीईआर प्लाज्मा में तापमान अनुकरण और माप के लिए रेडियोमीटर बुलाया प्रणाली के डिजाइन भी बना रही है . राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से भौतिकी में स्नातक और स्नातकोत्तर कर चुकी सुमन प्रेरणा उनकी मां और पति है. वह कहती है की वैज्ञानिक अनुसंधान का काम बहुत ही चुनौतीपूर्ण और हमारे देश के विकास के लिए आवश्यक है. वह चाहती हैं कि अधिक से अधिक लोगों को इस लाइन में शामिल हो जिससे हमारे देश में दुनिया के विकसित देशों के साथ बराबरी पर खड़ा होने में कोई रोक नही पाए .बाड़मेर में लड़कियों की शिक्षा पर उनकी राय बड़ी बेबाक है वह कहती है की लड़कियों की शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है और सभी पहलुओं से महत्वपूर्ण है. यह उन्हें शक्ति और विश्वास करने के लिए समाज में अपनी इकाई बनाने और सभी चुनौतियों को संभालने की क्षमता देता है. यह उन्हें समाज में सम्मान देता है कुछ दशकों पहले बाड़मेर में बालिका शिक्षा के लिए ज्यादा जागरूकता नहीं था, लेकिन अब यहा सुधार हुआ है और अब माता पिता को लड़कियों की शिक्षा के प्रति और अधिक जागरूक होते जा रहे हैं. मुझे लगता है कि यह अनुपात आगे जाना चाहिए. अधिक से अधिक कार्यक्रमों बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाना चाहिए . एक महिला होने के बावजूद इस चुनोती भरे काम को करने के सवाल पर वह कहती है की मैं बचपन से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान पर काम करना चाहती थी . मेरा एक सपना था की राष्ट्रीय विज्ञान कार्यक्रमों के लिए मेरा कोई योगदान हो . और वह सपना वैज्ञानिक बनने के बाद पूरा हो गया . सुमन के इस जज्बे को न केवल सलाम है बल्कि उसकी हिम्मत और कुछ अलग करने की कोशिस कियो के लिए प्रेना भी है .

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