सतर्क रहें खंगाली बाबाओं से इनका काम ही है खंगालना
- डॉ. दीपक आचार्य
आदमी नाम का जीव इतने कुछ हुनरों, करामातों और करतबों में माहिर होता है कि कभी वह मदारी हो जाता है, कभी तमाशबीन, तो कभी जमूरा। आदमी अपने लाभ और स्वार्थ पूरे करने के लिए कभी भी कुछ भी कर सकता है और कुछ भी करामात दिखा देने का माद्दा रखता हैै।
आदमियों की कई विचित्र प्रजातियां हैं जिनका स्मरण और दर्शन तक करना रोमांच जगाने के साथ ही विचित्रताओं का दिग्दर्शन कराता है। तरह-तरह के आदमियों की भारी भीड़ के बीच आदमियों की एक ख़ास किसम है जो और सारे हुनरों में माहिर होने के साथ ही खंगालने के हुनर में सबसे ज्यादा सिद्धहस्त होते हैं। इस किस्म के लोग जहाँ जाएंगे वहाँ अपने इस महानतम हुनर की छाप छोड़ ही देते हैं।
आदमियों की इस विचित्र प्रजाति वाले दुनिया में सभी जगहों पर पाए जाते हैं। जिज्ञासा और झपटना इनके स्वभाव को और अधिक बहुगुणित कर देता है। जिज्ञासा इतनी कि जहां कहीं जाएंगे वहां कुछ न कुछ जिज्ञासा करते ही रहेंगे, भले ही वह विषय इनसे संबंधित हो या न हो।
दुनिया जहान की जानकारी अपने पास होने की यात्रा में निकले ये लोग जमाने भर में हर किसी विषय पर जानकारी हासिल करने, रखने और जिज्ञासाओं का शमन करने के लिए हमेशा उतावले बने रहते हैं और अपनी इस भूख को शांत करने के लिए ये विनम्रता और जी हूजूरी की किसी भी सीमा तक नीचे उतर सकते हैं, अपने वाग्जाल को फैला सकते हैं और सामने वालों को बुद्धू बनाकर अपने स्वार्थ पूरे कर ही लिया करते हैं।
ऐसा होना आम आदमियों के बूते में नहीं होता लेकिन भगवान ने इन्हें किसी विशेष फैक्ट्री में ही अनूठे साँचे में ढाला होता है और इस कारण ये सामान्य लोगों के मुकाबले अलग ही दिखते हैं। इस किस्म के लोग अपने इस हुनर की वजह से सभी जगह लाभ में रहते हैं और लोगों से चाहे-अनचाहे ही कुछ न कुछ हासिल करके ही दम लेते हैं।
इस तरह के आदमियों की भारी भीड़ दुनिया के और इलाकों की ही तरह अपने क्षेत्र और अपने आस-पास भी खूब हैं। कई ऐसे लोग हमारे रोजमर्रा के कामकाज में भी सामने दिखते हैं। अजीब किस्म के ये लोग किसी भी दफ्तर, प्रतिष्ठान, दुकान या घर में किसी से मिलने या किसी काम से जाएंगे, तो कुछ देर बैठने के बाद अपनी परंपरागत औकात में आ ही जाते हैं और शुरू कर देते हैं अपने आस-पास रखी सामग्री या अपनी दृष्टि परिधि में आने वाले सामान को।
ये आपकी टेबल पर पड़ी हुई या दराज में रखी हुई जरूरी फाईलें हो सकती हैं, पेन-पेंसिल और दूसरी सामग्री, या फिर ऐसा कोई सा कागज या सामान, जो उनके सामने पड़ा हुआ होता है। हर सामग्री और कागज को खंगालना और ऊपर-नीचे करते हुए देखना, कागज या फाईलों के बारे में अपनी जिज्ञासाएं शांत करना और जरूरत के कागजों या सामग्री को चुपचाप छुपा कर ले जाना या जबरन मांग लेना इनकी प्रमुख आदतों में शुमार रहता है।
इस प्रजाति के लोग कहीं भी चुपचाप या गंभीरता के साथ नहीं बैठ सकते हैं। इनकी नज़रें हमेशा उन कागजों या सामग्री की तरफ लगी रहती है जहां ये बैठे होते हैं। अपने आस-पास की तथा वहाँ रखी अधिक से अधिक वस्तुओं को कम से कम समय में खंगाल लेना इनकी वह ख़ासियत होती है जो जीवन भर बनी रहती है।
हम कहीं भी जाएं, चाहे वह दफ्तर हो या घर, दुकान हो या प्रतिष्ठान, वहाँ हमें चाहिए कि हम जिस काम से गए हैं या जाते हैं, उन्हीं से मतलब रखें, वहाँ पड़े कागजों, फाईलों अथवा सामग्री को इधर-उधर करने, बेवजह देखने और जिज्ञासाएं व्यक्त करने का हमें कोई अधिकार नहीं है।
कई बड़े-बड़े लोग इस महामारी से त्रस्त हैं। वे जहाँ जाएंगे, वहाँ अपनी इन हरकतों से कभी बाज नहीं आएंगे। कभी कोई कागज देखेंगे, कभी टेबल पर रखी फाईल खंगालेंगे, कभी दराज खोलकर सामान देखेंगे, और कभी वहाँ रखे दस्तावेजों या वस्तुओं के बारे में फालतू के प्रश्न करने लगेंगे। फिर कहीं लगा कि कोई कागज या सामग्री इनके काम की हो सकती है, तो उसे मांगते हुए इन्हें किसी भी प्रकार की शर्म नहीं आती।
इस किस्म के लोग हद दर्जे के बेशरम भी होते हैं। यह तो गनीमत है कि भगवान ने इन्हें बड़े-बड़े नाखून, सिंग और खुर नहीं दिए हैं, वरना थोड़ा सा कुछ पाने की गंध भर आ जाती तो ये पहाड़ों और जमीनों तक को खोद देते।
इस किस्म के लोगों की इस अजीब मनोवृत्ति के चलते समझदार लोग तो इनके आगमन को देखते हुए अपनी टेबल से वो सब कुछ हटा कर कहीं छिपा देते हैं जिन पर इनकी गिद्ध दृष्टि गिरने का खतरा हो। या फिर ऐसे लोगों की उपस्थिति को देखते हुए अपने आफिस या दुकान का कोई नौकर ही वहाँ तब तक बिठाये रखते हैं जब तक कि इनकी मौजूदगी बनी रहती है।
हर इलाके में ऐसे दस-बीस लोग जरूर होते हैं जिनके आने पर लोग सतर्क हो जाते हैं और इनके लिए इस तरह का कोई चुग्गा बाहर नहीं रखते, जिसके कि खंगाले जाने का खतरा हो। जहाँ कहीं हम जाएं, हमें चाहिए कि शालीनता के साथ बैठें और वहाँ रखे कागजों, फाइलों और सामग्री को छूने से परहेज रखें। ऐसा करने अपने आप में अभद्रता और बेशर्मी है।
कई बार ऐसे लोगों की वजह से महत्त्वपूर्ण कागज, दस्तावेज, फाइलें, सामग्री, पेन आदि गायब हो जाते हैं और फिर ऐसे लोगों के आने पर किसी न किसी रूप में पहरा बिठाने की आवश्यकता तक पड़ जाती है। अपने काम से मतलब रखें और उन वस्तुओं पर कोई ध्यान न दें जिनसे हमारा कोई संबंध नहीं है। अन्यथा हम भी अपने इलाके के खंगाली बाबाओं की सूची में शामिल हो जाएंगे। और तब हमारी उपस्थिति और आवागमन तक होने पर लोग हमसे कतराने लगंेगे। खुद खंगाली बाबा न बनें, अपने इलाके के खंगाली बाबाओं से सतर्क रहें वरना ये कभी आपको ऐसा खंगाल जाएंगे कि जीवन भर के लिए कंगाली का दर्द दे जाएंगे।
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