हाईकोर्ट के आदेशो की भी अवहेलना,5 माह से वेतन नही 
बाड़मेर 
देश में बेहतर पेयजल प्रबंधन और जनता में पानी बचाने के नारे को मुखर करने वाले केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रम राष्ट्रिय ग्रामीण पेयजल कार्यकर्म राजस्थान में बीते 5 महीने से अधरझूल में है . केंद्र द्वारा करोडो का बजट दिये जाने के बावजूद राष्ट्रिय ग्रामीण पेयजल कार्यकर्म की क्रियान्विति सही तंग से नही हो प् रही है इतना ही नही इस कार्यकर्म को अमलीजामा पहनने वाले सेकड़ो परामर्शदाताओ के भविष्य पर संकट मंडराने लगा है . इन हालातो को सही करने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा दिए गये निर्णय की पालना नही होना भी कई सवाल खड़े कर रहा है . जानकरी के मुताबित राजस्थान में राष्ट्रिय ग्रामीण पेयजल कार्यकर्म के अंतर्गत वर्ष 2011 में संविदा आधार पर सलाहकारो को नियुक्ति दी गई थी . जिसे की जून 2012 में एक वर्ष के लिए बढ़ाना था . जिसे 3-3 महीनो के लिए महज दो बार बढाया गया .और सितम्बर के बाद से इन लोगो को अब तक किसी प्रकार का वेतन तक नही दिया गया .और इन लोगो को एक संस्था के जरिये जॉब बेसेस करने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया . पुरे मामले पर उच्च न्यायालय, जोधपुर ने बीती 9 जनवरी को स्टे ऑर्डर जारी कर दिया है। यह समस्त प्रकिया रोक दी गई है। लेकिन पीएचईडी विभाग और निदेशक सीसीडीयू द्वारा हाईकोर्ट के आदेशो के बावजूद परामर्श दातो का बकाया वेतन नही दिया जा रहा है जिसके चलते इन लोगो की माली हालत खस्ता हो रही है . 
अगस्त के बाद नही मिला वेतनमान - इस कार्यक्रम के तहत लगे परामर्शदाताओ को जहा बीते अगस्त माह के बाद किसी भी तरह का वेतनमान नही मिला है वही इन लोगो को इस पद पर लगाये जाने के बाद एक दर्जन से अधिक बार आयोजित हुई जयपुर की रिव्यू मीटिंगों के न तो टीए बिल पास किये गए और न ही डीए का कोई भुगतान किया गया . इतना ही नही कुछ परामर्शदाताओ को सात -सात दिन के लिए हेदराबाद और मसूरी ट्रेनिग के लिए भेजा गया था उनको भी भुगतान का अभी तक इंतजार है . 
पहले देश में अग्रणी अब पिछड़े - राष्ट्रिय ग्रामीण पेयजल कार्यकर्म में राज्य की रेंक वर्ष 2011-12 में पूरे भारत में प्रथम स्थान पर रही है जो इस वर्ष 2012-13 में आठवें स्थान पर है जो की इस योजना को धरातल पर उतरने वाले परामर्शदाताओ के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ का नतीजा है । इसमें मुख्य अभियंता ग्रामीण पीएचईडी एवं अधिशाषी निदेशक सीसीडीयू जयपुर द्वारा लिए जा रहे नकारात्मक निर्णय सबसे बड़ा कारण है और यह भी तय माना जा रहा है की ताजा हालातो को देखते हुए आगामी बजट में केंद्र सरकार इस रोजना को राजस्थान में बंद ही कर देने पर विचार कर लेवे

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