एफडीआई की किचकिच में यूपीए भारी
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी पंचाट में दो दिन से विदेशी किराना को लेकर चल रही किचकिच में यूपीए का पलड़ा भारी रहा। लोकसभा में यूपीए ने रिटेल में एफडीआई की जंग जीत ली। सदन में नियम 184 के तहत वोटिंग हुई।
सपा-बसपा ने कर दी थी राह आसान
मायावती और मुलायम सिंह ने सरकार को शर्मसार होने से बचा लिया। भले ही ये दोनों ध्रुव राजनीति के मंच पर कभी साझा दिखाई नहीं देते हैं लेकिन बुधवार को सदन से अलग अलग वॉक आउट कर यूपीए को किराना में हरी झंडी दिखाने में अप्रत्यक्ष तौर पर मदद कर गए। खास बात यह है कि दोनों ने रिटेल में एफडीआई का विरोध किया था।
बसपा के सदस्यों का आरोप था कि वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने एफडीआई पर अपने जवाब में पार्टी की चिंताओं का जिक्र नहीं किया। मुलायम ने कहा कि बहिष्कार का फैसला पहले ही ले लिया गया था। लोकसभा में सपा के 22 और बसपा के 21 सदस्य हैं। 43 सांसदों वाली दोनों पार्टियां के वोटिंग से अलग होने से यूपीए में शामिल पार्टियों के सांसद ही नैया पार लगा गए।
ये है राज्यसभा का आंकड़ा
राज्यसभा में सरकार की हालत थोड़ी पतली है। राज्यसभा में कुल 244 वोट हैं। इसमें कांग्रेस के 70 वोट हैं। सरकार में शामिल एनसीपी के 7,डीएमके के 7,नेशनल कांफ्रेंस के 2,एसडीएफ,एनपीएफ,केसीएम और बीडीएफ के पास एक-एक वोट हैं। चार निर्दलीय सांसदों को मिलाकर सरकार का आंकड़ा हो जाता है 94 वोट।
सरकार को बाहर से समर्थन दे रही बीएसपी के 15,एसपी के 9,आरजेडी के 2 और एलजेपी का 1 वोट है। चार निर्दलीयों के वोट मिलाकर वोट हो जाते हैं 31। इनको जोड़कर सरकार का आंकड़ा 125 का हो जाता है। मतलब इस हालत में सरकार को आसानी से राज्यसभा में बहुमत मिल जाएगा। अगर बसपा के 15 और सपा के 9 सांसद वोटिंग में भाग नहीं लेते हैं तो सदन की कुल संख्या होगी 220। इस स्थिति में यूपीए के 94 और बाहरी समर्थन के 7 वोट मिलाकर भी 101 वोट होते हैं। यानी बहुमत से 10 कम। ऎसे में सरकार की नजर 10 नामांकित और 3 अन्य सांसदों पर होगी।
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