कोर्ट में बहुमत के फैसले से हुई प्रणब की जीत 
नई दिल्ली। 
सुप्रीम कोर्ट ने प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने को चुनौती देने वाली पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति चुने जाने को सही ठहराया। पांच जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया। हालांकि फैसले को लेकर जजों में मतभेद साफ नजर आया। तीन जज प्रणब के राष्ट्रपति चुने जाने को सही ठहराए जाने के पक्ष में थे जबकि दो विपक्ष में। फैसला बहुमत के आधार पर लिया गया। मुख्य न्यायाधीश अल्तमश कबीर,न्यायाधीश पी.सदाशिवम,न्यायाधीश एसए निज्जर ने कहा कि इस मामले पर लगातार सुनवाई का कोई मतलब नहीं है और याचिका को खारिज कर दिया। वहीं न्यायाधीश जे.चेलेश्वरम और न्यायाधीश रंजन गोगोई इससे सहमत नहीं थे। न्यायाधीश गोगोई ने कहा कि इस मामले से जुड़े तथ्यों को प्रूव किया जाना चाहिए और मामले पर लगातार सुनवाई की जरूरत है। 22 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव में पीए संगमा हार गए थे। संगमा ने अपनी याचिका में कहा था कि राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन भरते वक्त प्रणब मुखर्जी लाभ के पद पर थे। वे कोलकाता स्थित भारतीय सांख्यिकी संस्थान के अध्यक्ष थे। साथ ही लोकसभा में सदन के नेता भी थे। मुखर्जी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था। उनके वकील ने कोर्ट में बताया था कि वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा देते वक्त और नामांकन दाखिल करते वक्त प्रणब मुखर्जी ने दोनों पद छोड़ दिए थे। मुखर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए संगमा ने एनसीपी छोड़ दी थी।

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