दीपावली पर्व पर बढ़ी मूर्तियों की बिक्री 

उदयपुर के  पांच परिवार जुटे है विभिन्न प्रकार की मूर्तियां बनाने में 
बाड़मेर. 
बाड़मेर शहर के  सर्किट हाउस के पास चार-पांच परिवार के  करीब बीस जने पिछले एक-डेढ़ माह से मूर्तिया बनाने में जुटे है। उदयपुर से आया यह परिवार बहुत ही गरीब होने के  कारण पापी पेट के  लिए हर समय अपनी कड़ी मेहनत और हाथ के हुनर से रंग-बिरंगी व विभिन्न कलाकृति वाली मूर्तिया बनाने में लगा हुआ है। परिवार में बच्चों से लेकर छोटे-बड़े सभी मूर्तिया बनाने का काम करते है। मूर्तियों में राधाकृष्ण, गमला, भगवान गणेश, लक्ष्मी, शंकर, कष्ण, हनुमान सहित विभिन्न प्रकार के  पौधदान, गमले, मोर, तोता, हाथी की मूर्तियां प्रमुख रूप से बनाई जाती है। चपकीले और रंग बिरंगे रंगों की कलाकृति से बनी मूर्ति लोगों को विशेषरूप से आकृर्षित करती है। मूर्तिया बनाने वाला यह परिवार घुमकड़ के  रूप में कभी बाड़मेर तो कभी जोधपुर, पाली सहित अन्य जिलों में अपने हाथों से बनी मूर्तियों को विभिन्न डिजाइन देकर बाजार में बेचता है। मूर्ति बनाने में पीओपी का इस्तेमाल किया जाता है। पहले जहां पीओपी को पानी के  साथ मिलाया जाता है। उसे बाद विभिन्न मूर्तियों के  बने खासों में डालकर सुखाना होता है। जिसे बाद मूर्ति पर विभिन्न प्रकार के  रंग बिरंगे कलर को बारीकी के  साथ किया जाता है। जिसे लिए परिवार के  सदस्य सुबह से शाम तक इस काम में जुटे हुए रहते है। मूर्ति कलाकार का कहना है कि मूर्ति बनाने में काफी समय और खपत लगती है, जिसकी बदोलत बाड़मेर में मुनाफा नहीं मिल पाता। यहां सस्ती दरों वाली मूर्तियां बिकती है, लेकिन मूर्ति पर किए जाने वाले विशेष चमकीले कलर महंगे है। जिसे कारण बनाने से लेकर बाजार में बेचने तक काफी खर्चा होता है। ऐसे में यहां मूर्ति कलाकारों को विशेष मुनाफा नहीं मिल रहा है। 
दीपावली पर्व के  नजदीक आने के  साथ मूर्तिकलाकार विभिन्न प्रकार की मूर्तियों को बनाने में जुटे हुए है। प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनाई जाने वाली इन मूर्तियों की विशेष रूप से शहरों में काफी डिमांड रहती है। एक मूर्ति की अनुमानित लागत करीब 20 से 30 रुपए तक है, जिसकी बाजार में कीमत करीब 50 से 100 रुपए तक है। वहीं बड़ी मूर्तिया सौ से दो सौ रूपए तक भी है। इन मूर्तियों को राजस्थान के  अलावा हरियाणा, पंजाब, मद्रास, उत्तरप्रदेश, गुजरात समेत अन्य कई राज्यों में बेचा जाता है। मूर्तिकलाकार अपनी कला से उकेरी हुई इन मूर्तियों को बाजार में बेच अपना जीवन व्यापन करने में जुटा हुआ है। दीपावली पर्व के  साथ ही बाजार में भी लक्ष्मी, पार्वती, शिव व गणेश भगवान की मूर्तियों की डिमांड रहती है।

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