पूर्व पीएम गुजराल का निधन 
नई दिल्ली।
पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल का शुक्रवार को करीब साढ़े तीन बजे गुड़गांव के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह लम्बे समय से बीमार थे। वह 92 वर्ष के थे। उनका शनिवार को दिल्ली में अंतिम संस्कार होगा। 
19 नवम्बर से गुडगांव के एक निजी अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। फेंफड़ों में संक्रमण के कारण उनकी हालत बिगड़ती गई। अस्पताल में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। डा. नरेश त्रेहन के नेतृत्व में डाक्टरों की एक टीम गुजराल के उपचार में जुटी थी। गुजराल अप्रेल 1997 से मार्च 1998 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे। इससे पहले वह विश्वनाथ प्रताप सिंह एवं एच.डी. देवगौड़ा सरकार में विदेश मंत्री रह चुके थे। जनता दल में शामिल होने से पहले गुजराल कांग्रेस के सदस्य थे और मंत्रिमंडल में विभिन्न पदों पर रहे थे।उन्हें बहुत ही कुशल और बेहतरीन कूटनीतिज्ञ के तौर पर जाना जाता था। पड़ोसी देशों खासकर पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लिए उन्होंने गुजराल सिद्धांत दिया था।
गुजराल का जन्म अविभाजित भारत के झेलम कस्बे में चार दिसम्बर 1919 को हुआ था। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था और वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल की सजा भी काटी थी। विभाजन के बाद वे पाकिस्तान से भारत आ गए थे। मौजूदा पाकिस्तान के लाहौर स्थित डीएवी कॉलेज से स्नातक गुजराल छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे थे।
उनके निधन पर सभी राजनीतिक पार्टियों ने नेताओं ने गहरा शोक जताया और दुआ की कि ईश्वर उनके परिवार के सदस्यों को यह गम सहने का हौसला दे। बीजेपी के नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने गुजराल के निधन को देश का भारी नुकसान करार दिया और कहा कि उनकी कमी को पूरा नहीं किया जा सकता है।
लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने गुजराल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा है कि गुजराल के निधन से देश को अपूरणीय क्षति हुई है और भारतीय राजनीति में एक शून्य पैदा हो गया है।

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