जयपुर जंक्शन पर बोगी खाक
जयपुर।
जयपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पांच पर खड़ी कोटा-बयाना-रतलाम पैसेंजर गाड़ी की एक बोगी में शनिवार देर रात आग लग गई। बोगी में आधा दर्जन यात्री थे। धुआं व आग देख वह भाग गए। स्टेशन परिसर में हड़कम्प मच गया। आग वाली बोगी के पास ही ट्रेनों को डीजल आपूर्ति के लिए फ्यूल पाइंट (टैंक) था। अगर लपटें वहां तक पहुंच जातीं तो न केवल बड़ा हादसा होता, स्टेशन उड़ सकता था। टैंक करीब 50 हजार लीटर डीजल की क्षमता का बताया जा रहा है। रेलवे प्रशासन और जीआरपी आग का कारण शॉर्ट-सर्किट बता रहे हैं। मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई गई है।
मची अफरा-तफरी
रेलवे प्रशासन व जीआरपी के मुताबिक यह गाड़ी रात 8.20 बजे बयाना से आकर जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर 5 पर खड़ी हुई थी। इसे रात 11.30 बजे रतलाम को रवाना होना था। तभी अंतिम बोगी (95203 जीएस-सीएल) में रात 9.45 बजे के लगभग आग लग गई। बोगी में धुआं व आग की लपटें देख इसमें बैठे यात्रियों ने सामान निकाल कर जान बचाई। दूसरे प्लेटफार्म पर खड़ी ट्रेनों के यात्री भी घबराकर सामान निकाल बाहर आ गए।
सूचना पर रेलवे व जीआरपी के कर्मचारी व अधिकारी पहुंचे। साथ ही दुर्घटना राहत गाड़ी के राहतकर्मियों से सुरक्षाकर्मी आए। स्टेशन पर लगे पेयजल पाइपों से आग पर पानी फेंका गया। दमकलों ने भी पानी फेंककर आग पर काबू पाया। आग की लपटें इतनी तेज थी कि करीब डेढ़ घंटे तक लगातार पानी डालने के बाद भी आग बुझ नहीं पाई। सूचना मिलते ही डीआरएम व अन्य रेलवे अधिकारी भी मौके पर पहुंचे।
आरपीएफ जवान ने काटी बोगी
आग फ्यूल पाइंट तक न पहुंचे इसके लिए आरपीएफ के जवानों ने बोगी को यात्रियों, कुलियों, रेलवे कर्मचारियों की सहायता से अलग किया और धक्का देकर यार्ड गार्ड तक पहुंचाया। इसके बाद दुर्घटना राहत गाड़ी से आग पर काबू पाया गया। दमकल घटना के काफी देर बाद पहुंची।
एफएसएल करेगी जांच
रेलवे प्रशासन आग के कारणों की जांच के लिए रविवार सुबह बोगी की वीडियोग्राफी करवाएगी, वहीं एफएसएल के विशेषज्ञ भी बोगी का निरीक्षण करेंगे। तब तक बोगी पर दो सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए हैं। मामले की जांच के लिए सीनियर डीईई पीयूष जैन, सीनियर डीएमई मनोज जैन, सीनियर डीएससी आरपीएस अजय संतानी और सीनियर डीएसओ आरपीएफ नारायण लाल के नेतृत्व में कमेटी बनाई गई है।
दो दर्जन कबूतर मरे: आग वाली बोगी के ऊपर लोहे के टीनशैड पर बड़ी संख्या में कबूतर बैठे थे। आग की लपेटों की चपेट में आने से करीब दो दर्जन कबूतर नीचे गिरे पड़े और उनकी मौत हो गई।
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