केंद्र के बजट के बावजूद राज्य सरकार का तुगलकी फरमान 
बाड़मेर 
किसी भी सरकार के लिए उसके वह कार्मिक सबसे ज्यादा अजीज होते हे जिनके द्वारा अपने काम को बखूबी अंजाम दिया जाता हो . कई मोके में अपने लक्ष्य को पूरा करने वालो को इनामो से नवाजा जाता है लेकिन राजस्थान में यह बात बिलकुल विपरीत नजर आ रही है . राजस्थान सरकार के मुखिया अशोक गहलोत जिस पानी बचाओ के नारे को देते आये है उस नारे को बुलंद करने वाले सेकड़ो क्रमिको को अब सरकार के तुगलकी फरमान का सामना करना पद रहा है . जानकारी के मुताबित राज्य भर में राश्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के तहत जिला स्तर पर जिला जल एवं स्वच्छता मिशन में सलाहाकारों का चयन जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया गया था। इन जिला स्तर से जारी नियुक्ति आदेश की शर्तों के अनुसार एक साल की कार्यावधि पूर्ण होने पर सलाहकारों की कार्यदक्षता मूल्यांकन के आधार पर प्रतिवश्र 10 प्रतिशत मानदेय वृद्धि करते हुए कार्यावधि बढ़ाना सुनिश्चित किया गया था। योजना निरन्तर प्रगतिरत है तथा साहयक राशी में केन्द्र सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 201213 में सपोर्ट गतिविधियों के क्रियान्वयन हेतु राशि 63.71 करोड़ एवं 23.11 करोड़ अलग से जल गुणवत्ता के लिये राजस्थान के लिये स्वीकृत की गई है। इस राशी से झा राज्य भर में पानी को लेकर जनचेतना का एक ख़ास माहोल तेयार करना है और कई महत्वपूर्ण कार्यो को पूरा किया जाना है जिसके आधार जिला स्तर पर काम करने वाले सलाहकारों ही रहेंगे लेकिन सरकार को अब यह लोग और इनका काबिल इ तारीफ किया गया काम अब रास नही आ रहा . जानकारी के मुताबित समस्त सलाहकारों के एक वर्ष पूर्ण होने के पश्चात अनुबंध अवधि ब़ाने के संबंध में प्रमुख शासन सचिव, मुख्य अभियंता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, राजस्थान एवं अधिशाशी निदेशक सीसीडीयू द्वारा तीन माह सितम्बर 2012 तक के लिए अनुबंध अवधि बढाने के साथ ही शीघ्र ही 1 वर्ष के लिये अनुबंध अवधि ब़ाने का आदेश जारी करने संबंधी आश्वासन दिया गया गया था। लेकिन एसा कुछ भी नही हो पाया . इस मामले में सबसे रोचक बात यह है की वर्ष 201112 में मार्च 2012 तक इन सलाहकारों की कार्यावघि में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत राजस्थान राज्य पुरे देश में प्रथम स्थान पर काबिज हुआ था । लेकिन माह अगस्त 2012 के बाद हमारे लिये संशय की स्थिति उत्पन्न होने के बाद राजस्थान की स्थिति देश में गिर रही है । और वर्तमान में राजस्थान राज्य से इस कार्यक्रम के तहत काफी राज्य उच्च स्थान पर काबिज हो गये है, हालाँकि इस कार्यक्रम के तहत समस्त फंड केन्द्र सरकार द्वारा दिया जा रहा है । इन सब बातों के बावजूद योजना से संबंधित समस्त कार्य एन.जी.ओ. द्वारा संपादित करवाये जाकर सलाहकारो के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है, जिससे एन.जी.ओ द्वारा करवाये गये समस्त कार्यो में काफी अनियमितताएं भी सामने आयी है । लेकिन सरकार फिर भी इस काम को एन जी ओ को सोपने की तेयारी में है . इस मामले में पूर्व में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मंत्री जितेन्द्र सिंह जी से समस्त कंसलटेंटस के मिलने पर उनके द्वारा संबंधित विभाग को निर्देश दिये गये। लेकिन विगत 30 सितम्बर 2012 को कंसलटेंटस की अनुबंध अवधि समाप्त हो चुकी है और इस संबंध में समस्त कंसलटेंटस ने उमेश धींगड़ा, मुख्य अभियंता (ग्रामीण) जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग एवं हेमन्त जोशी, अधिशाशी निदेशक, सी सी डी यू से भी व्यक्तिगत वार्ता की लेकिन किसी भी अग्रिम आदेश के अभाव में समस्त सलाहकारो में एक बार फिर से संशय की स्थिति पैदा हो चुकी है। साथ ही कार्यरत समस्त सलाहकारों को सेवा प्रदाता एजेन्सी/एन.जी.ओ. के अन्तर्गत अनुबंध के लिये बाध्य करने हेतु कार्यवाही अमल में लाई जा रही है जिससे इन सलाहकारों का शोषण होने की सम्भावनाओ से इंकार नही किया जा सकता । इस संशय की स्थिति में यह रोजगार भी कुछ अधिकारियों के निहित स्वार्थ के कारण बलि चढ़ रहा है और इस तरह की कार्यवाही के बाद कई युवा बैरोजगार होने को बाध्य हो जाएंगे। 
एक तरफ जहा राजस्थान की सरकार पानी को बचाने और इसके कम उपयोग की बात कहती है वही सरकार की इस बात को जो लोग हर आम ओ ख़ास तक पहुचने का जरिया बन रहे है उनके साथ हो रही इस तरह की कार्यवाही सरकार के काम और उसकी नीतियों पर ही सवालिया निशान लगती नजर आती है।

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