आरक्षण मामला:2 महीने इंतजार करेंगे गुर्जर 
जयपुर। 
gurjar reservation प्रदेश में गुर्जर सहित चार अन्य जातियों को एसबीसी में निर्घारित आरक्षण से पांच फीसदी अलग आरक्षण दिए जाने के मामले में फिलहाल जनसंख्या का आंकलन सबसे बड़ा पेच उलझा हुआ है। और सूत्रों के अनुसार,आयोग ने एसबीसी को निर्घारित से अलग पांच फीसदी आरक्षण दिए जाने में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को आधार बनाया है,लेकिन कोर्ट के निर्णय में आरक्षित जातियाें की जनसंख्या का प्रतिशत भी आरक्षण के समान होने की बात कही गई है। राजस्थान में फिलहाल आरक्षित जातियों की जनसंख्या पचास फीसदी से कम है और इसके चलते एसबीसी आरक्षण प्रक्रिया में कभी भी विराम लग सकता है।


इसी गहमागहमी के बीच गुरूवार को हिंडौन सिंटी स्थित कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के घर पर गुर्जर समाज की बैठक हुई। आरक्षण को लेकर वर्तमान परिस्थितियों पर चर्चा और आगामी रणनीति को लेकर आयोजित इस बैठक में बयाना,भरतपुर,करौली,सवाईमाधोपुर सहित प्रदेशभर के गुर्जर नेता शामिल हुए। प्रवक्ता डॉ.रूप सिंह के अनुसार बैठक में आरक्षण मसले पर समाज से राय मांगी गई है। बैठक में सरकार के इस कदम पर न तो धन्यवाद दिया गया और नही विरोध जताया गया। बैठक में फैसला लिया गया कि समाज 2 महीने तक इंतजार करेगा।




विभिन्न रिपोर्टो का लिया सहारा:


पिछड़ा वर्ग आयोग ने इन जातियों के सर्वे में आईएसडी की रिपोर्ट,चौपड़ा,मंडल आयोग की रिपोर्ट व सरकार की ओर से जारी आंकड़ों को आधार बनाया है। इसके तहत पांचों को घुमंतू की श्रेणी में रखा है,जिनमें भी दो प्रकार हैं। एक वो जो कुछ समय के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं और दूसरे वो जो कही भी स्थाई निवास नहीं करते। इन पांच जातियों को समाज से विरक्त घुमंतु माना है जो कि अपने पशु और परिवार के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर विचरण करते रहते हैं। 


इन पांच की हुई सिफारिश:


सूत्रों के अनुसार,पिछड़ा वर्ग आयोग ने विशेष पिछड़ी पांच जातियों के सामाजिक,श्ौक्षणिक और नौकरी में प्रतिशत के आधार पर पांच प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की सिफारिश की है। इस सिफारिश में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय को आधार बनाया है,जिसमें राज्य सरकार को विशेष्ा परिस्थितियों में आरक्षण बढ़ाने की छूट दी गई है। 


ये हैं वो पांच जातियां: 


1. बंजारा- बालदिया,लबाना।
2. गाडिया लोहार - गाडोलिया।
3. गूजर - गुर्जर।
4. राईका- रेबारी (देबासी)। 
5. गडरिया- गाडरी,गायरी।


यह अटक सकता है पेच:


आयोग ने कोर्ट के निर्णय के आधार पर आरक्षण की सिफारिश की है,लेकिन कोर्ट ने विशेष्ा परिस्थितियों में आरक्षित जातियों की जनसंख्या के प्रतिशत को भी शामिल किया है। इसमें कोर्ट ने कहा है कि किसी राज्य में आरक्षित जातियों की जनसंख्या प्रदेश की कुल जनसंख्या में पचास फीसदी से ज्यादा है तो राज्य सरकार आरक्षण का प्रतिशत बढ़ा सकती है। देश के अन्य राज्यों में मुख्य रूप से इसी आधार पर आरक्षण को निर्घारित 49 फीसदी से ज्यादा किया गया है। प्रदेश में आरक्षित जातियों की जनसंख्या का प्रतिशत पचास फीसदी भी नहीं है। इसलिए पहले मामले में ही इस पर कोर्ट के जरिए रोक लग सकती है। इस संबंध में आयोग का तर्क है कि जातिगत जनगणना में वष्ाü 1931 तक के ही आंकड़े शामिल हैं और वष्ाü 2011 में हुए सर्वे की रिपोर्ट फिलहाल नहीं आई है। उस वक्त की जनगणना के अनुपात को आगे बढ़ाते हुए आरक्षण की सिफारिश की गई है।

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