एंटरटेनर है झा का "चक्रव्यूह" 
जयपुर। 
फिल्म निर्माता प्रकाश झा ने फिल्म "चक्रव्यूह" को पर्दे पर उतारा है। चक्रव्यूह नक्सलवाद पर आधारित है। फिल्म की कहानी काल्पनिक है। राजनीति, आरक्षण जैसी फिल्मों के बाद झा दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रहे है। "चक्रव्यूह" के नाम से ही लगता है कि यह एक बेहद रोचक प्लॉट है। झा ने एक ऎसी समस्या को उजागर किया है जिससे वास्तव में देश झूझ रहा है। फिल्म के जरिए उन्होंने अच्छा मुद्दा उठाया है। इसमें दो दोस्तों कहानी पेश की गई है जिसमें पुलिस व नक्सली गतिविधियों के बीच चक्रव्यूह को दिखाया गया है। 

कहानी: 
फिल्म की कहानी आदिल (अर्जुन रामपाल), कबीर (अभय देओल), रिया(ईशा गुप्ता) के इर्द गिर्द घूमती है। तीनों कॉलेज फ्रेंडस होते है जो कि पुलिस अकेडमी ज्वॉइन कर लेते है। तुनुक मिजाजी कबीर इसे छोड़ देता है जबकि आदिल व रिया अच्छे ऑफिसर बन जाते है। 
आदिल का ट्रांसफर नक्सलवादी एरिया में हो जाता है जहां उसकी मुलाकात कबीर से होती है। कबीर व आदिल की दोस्ती होती है। इस वजह से कबीर राजन (मनोज वाजपेयी) की गैंग में शामिल हो जाता है ताकि वह नक्सलवादियों की गतिविधियों पर नजर रख सके। राजन एक प्रसिद्ध नक्सली होता है जिस पर मर्डर के आरोप है। 
कबीर अपने मिशन में सक्सेस हो जाता है और उसे धीरे-धीरे नक्सलियों से हमदर्दी होने लगती है। वह उन्हें सही समझने लगता है। कहानी में टि्वस्ट तब आता है जब दो जिगरी दोस्त कबीर व आदिल में संघर्ष छिड़ जाता है। आदिल कबीर को धोखेबाज समझने लगता है।

परफोर्मेस : 
अजुर्न रामपाल ने शानदार अदाकारी की है। अभय देओल अपने रोल से छाप छोड़ते नजर आए है। मनोज वाजपेयी, ईशा गुप्ता, ओम पूरी, अंजलि पाटिल अपने रोल में फिट बैठे है। फिल्म के डायरेक्शन ने लोगों का दिल जीत लिया है। 
प्लस प्वाइंट्स: बेहतर अदाकारी देखने को मिलती है। फिल्म में एंटरटेनमेंट है। 
माइनस प्वाइंट्स : कहीं जगह सीन में फीकापन लगता है। 
ऑवरऑल: वीक एंड एंन्जॉय करने के लिए एक बार सिनेमा का रूख करना चाहिए। 
कलाकार: अर्जुन रामपाल, अभय देओल, ईशा गुप्ता, मनोज वाजपेयी, ओमपूरी, अंजलि पाटिल 

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