थार में जलसंरक्षण ने दी लोकजीवन को खुशहाली

- डॉ. दीपक आचार्य
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी
बाड़मेर

मीलों तक पसरे रेत के महासमंदर में सदियों से पानी की कमी, भीषण गर्मी और कठिनाइयों से भरे लोक जीवन वाले थार में हाल के वर्षों में जल संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर सर्वत्र जल संरक्षण और संग्रहण के हुए अथक प्रयासों ने बहुत बड़ा बदलाव ला दिया है।

सरहदी जिले बाड़मेर में पेयजल की विकराल समस्या को देखते हुए ही महानरेगा और अन्य योजनाओं में सर्वाधिक काम जल संरक्षण एवं संग्रहण के लिए गए। हाल के वर्षों की मेहनत अब रंग ला रही है। जिले में बड़ी संख्या में निर्मित जलसंरचनाओं में संग्रहित पानी मानवश्रम से पेयजल समस्या निराकरण के अभियान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हो रहा है।

टाँके बने ओयसिस

28 हजार वर्ग किलोमीटर भू-भाग में फैले बाड़मेर जिले में दूरदराज के गांवों व ढाणियों में हाल के वषार्ें में अप्रत्याशित संख्या में टांकों का निर्माण हुआ है। इनमें से 25हजार टांकों पर (औसतन 10 पेड़ प्रति टांका) वृक्षारोपण करवाया जा रहा है ।

वरदान बनी महानरेगा की बेरियां

बाड़मेर जिले में महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत अब तक 500 बेरियाें का निर्माण हुआ है। इन बेरियाें की बदौलत ग्रामीणाें के पलायन पर अंकुश लगा है। अब तक बारिश के भरोसे खरीफ की फसल लेने वाले किसान सालाना खरीफ एवं रबी की फसल लेने लगे हैं। इसी प्रकार आई.डब्ल्यू.एम.पी. योजनान्तर्गत निर्मित सार्वजनिक टांके भी ग्रामीणों के लिए अत्यन्त उपयोगी साबित हो रहे हैं।

बेरियाें से हुई सिंचाई के बाद खेताें में लहलहाती फसलें और जलग्रहण परियोजना अन्तर्गत खड़ीन निर्माण कार्य में एकत्रित वर्षा का जल क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए किसी स्वप्न के साकार होने से कम नहीं है।

पानी का सुकून पाकर आह्लादित हैं ग्रामीण

आदर्श चवा ग्राम पंचायत के ग्रामीण 3 किमी दूर खंरटिया से पेयजल लेकर आते थे। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में केरली नाड़ी सुधार कार्य के बाद अब उनके लिए पानी की कोई समस्या नहीं रही। यह योजना ग्रामीणों के लिए सरकार के किसी तोहफे से कम नहीं है। कई बार भीषण गर्मियों के दिनों में खंरटिया से टैंकराें के जरिए पेयजल मंगाना पड़ता था। अब महानरेगा के काम से पक्का तालाब बन जाने से स्थानीय स्तर पर ही पेयजल उपलब्ध हो रहा है। जिले में अकेली आई.डब्ल्यू.एम.पी. योजनान्तर्गत ही वर्ष 2009 से कुल 59 जलग्रहण परियोजनाओं में 379461 हैक्टर में 569.1915 करोड़ की लागत से विकास कार्य करवाये जा रहे हैं। 

रेगिस्तान में जलतरंगों का संगीत

केन्द्र व राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से कभी सहारा रेगिस्तान की तरह दुर्गम समझे जाने वाले बाड़मेर जिले में डीडीपी एवम् आई.डब्ल्यू.एम.पी. योजनाओं के अन्तर्गत हुए जलग्रहण विकास कार्यो के माध्यम से गरीब व पिछडे़ समुदाय के जीवनस्तर में अकल्पनीय परिवर्तन आ रहे हैंं। जलग्रहण विकास परियोजनाओं के तहत् विकसित चारागाह एवम् पौधारोपण गतिविधियाें की वजह से क्षेत्र में हरियाली का भी विस्तार हुआ है।

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