मुश्किल में पड़ सकती है महाराष्ट्र सरकार 
मुम्बई। 
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने तेजी से बदलते घटनाक्रम के तहत मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद गठबंधन सरकार में शामिल एनसीपी कोटे के मंत्रियों ने भी अपने पद से हटने की घोषणा कर दी। 
पवार ने कहा कि वह आरोपों की किसी प्रकार की जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं और इसीलिए मंत्री पद से इस्तीफा दे रहे हैं। आरोप है कि पवार जब सिंचाई मंत्री थे तब उन्होंने सिंचाई परियोजना के लिए कांट्रेक्ट देने में अनियमिमता बरती थी। पवार ने जल्दबाजी में 32 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। 
पवार के इस्तीफे के तुरंत बाद राकांपा विधायकों के एक वर्ग ने सत्तारूढ़ गठबंधन से हटने एवं राज्य की कांग्रेस सरकार को बाहर से समर्थन देने की मांग की। 289 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 82 विधायक हैं। एनसीपी विधायकों की संख्या 62 है। अगर एनसीपी अपना समर्थन वापस ले लेती है तो मौजूदा हालात में सरकार अल्पमत में आ जाएगी और उसका गिरना तय हो जाएगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री एवं राकांपा प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने कहा कि उन्होंने इस्तीफा देने का निर्णय लेने से पहले पार्टी नेतृत्व से विचार विमर्श किया था और सहमति के बाद यह कदम उठाया। पवार ने कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान के पास भेज दिया है।

इस बीच कुछ एनसीपी विधायकों ने पार्टी नेतृत्व से मांग कर दी है कि पार्टी राज्य सरकार से समर्थन वापस ले लेना चाहिए। इस मांग को राज्य की पृथ्वीराज चव्हाण सरकार पर दबाव डालने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा है कि पार्टी का महाराष्ट्र सरकार से समर्थन वापस लेने का कोई इरादा नहीं है।

इस बीच एनसीपी नेतृत्व ने तुरंत साफ कर दिया है कि पार्टी का महाराष्ट्र में सरकार से समर्थन वापस लेने का कोई इरादा नहीं है। वरिष्ठ एनसीपी नेता और केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने कहा है कि एनसीपी सरकार में बनी रहेगी। सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया जाएगा।

पवार के इस्तीफे का श्रेय आईएसी ने लिया

इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) ने दावा किया कि उसकी वजह से महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद से अजित पवार को इस्तीफा देना पड़ा। आईएसी के प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि पवार का सिंचाई घोटाले में लिप्तता का पता चला था, जिसे आईएसी मुम्बई ने जोर-शोर से उठाया और इसे सबके सामने लाया। अंजलि दमानिया सहित हमारे अन्य कार्यकर्ताओं ने दिन-रात अथक मेहनत करके इस घोटाले का भंडाफोड़ किया।

संगठन ने कहा कि सिंचाई घोटाला केवल धन का मामला नहीं है, जो 75000 करोड़ रूपए का है, बल्कि ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए यह राज्य के संसाधनों का "लज्जाहीन बलात्कार" है। आईएसी ने कहा कि भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वाले अन्य कार्यकर्ताओं की तरह अंजलि एवं अन्य सहयोगियों को अपमान, धमकी एवं प्रताड़ना का सामना करना पड़ा लेकिन वे झुके नहीं।

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