मनमोहन ने वसुंधरा को घेरा 
नई दिल्ली।
कोयला आवंटन में कथित अनियमितता को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे पर अड़ी भाजपा ने सोमवार को भी संसद में हंगामा किया। हंगामे के कारण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संसद में अपना बयान नहीं दे पाए। प्रधानमंत्री ने अपना बयान सदन के पटल पर रखा। अपने बयान में प्रधानमंत्री ने कोयला आवंटन में घोटाले के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। प्रधानमंत्री ने अपने बयान में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का भी नाम लिया। 
प्रधानमंत्री ने वसुंधरा राजे की ओर से लिखे गए पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री ने कोयला आवंटन में नीलामी का विरोध किया था। उन्होंने भाजपा शासित उन राज्यों का भी जिक्र किया जिन्होंने नीलामी का विरोध किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोयला आवंटन पर फैसला राज्यों की सलाह के साथ लिया गया था। 
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझ पर लगाए गए आरोप तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कैग की रिपोर्ट में दिए गए आंकड़े विवादास्पद है। कोयला खदानों का सिर्फ आवंटन हुआ है। अभी तक कोयला निकाला ही नहीं गया तो राजस्व को नुकसान कहां से हुआ। 
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मंगलवार को ईरान की यात्रा पर जाना है। अपनी सफाई देकर प्रधानमंत्री संसद में जारी गतिरोध खत्म करना चाहते थे लेकिन भाजपा के अडियल रूख के गतिरोध खत्म नहीं हो पाया। इस बीच लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने संसद में जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। 
एनडीए दो फाड़
प्रधानमंत्री के इस्तीफे को लेकर एनडीए में फूट पड़ गई है। अकाली दल और जदयू संसद में चर्चा कराए जाने के पक्ष में हैं वहीं भाजपा और शिवसेना प्रधानमंत्री के इस्तीफे पर अड़ी है। जदयू और अकाली दल का कहना है कि प्रधानमंत्री को अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए। दोनों दलों के रूख दो देखते हुए एनडीए की बैठक स्थगित कर दी गई। अकाली दल और जदयू के रूख को देखते हुए भाजपा ने बैठक बुलाई। इसमें फैसला हुआ कि प्रधानमंत्री को संसद में बयान नहीं देने दिया जाएगा।

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