आखिर क्यों खामोश है राहुल गांधी 
नई दिल्ली।
कोल ब्लॉक्स के आवंटन में कथित अनियमितता को लेकर भाजपा संसद नहीं चलने दे रही। भाजपा के रूख से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी नाराज है। सोनिया गांधी ने आक्रामक रूख अख्तियार करते हुए भाजपा पर जवाबी हमले शुरू कर दिए हैं। सोनिया ने पार्टी सांसदों से भी कहा है कि वे बचाव की मुद्रा में न आएं और भाजपा को करारा जवाब दें। 
राहुल से राय जाहिर करने की उम्मीद
इन सबके बीच कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी खामोश हैं। राहुल गांधी ने न तो असम हिंसा पर सार्वजनिक रूप से बयान दिया न ही देश के विभिन्न शहरों से पूर्वोत्तर के लोगों के पलायन पर मुंह खोला। मुंबई में हुई हिंसा और कोल ब्लॉक्स के आवंटन में कथित अनियमितता पर राहुल ने अपनी राय जाहिर नहीं की जबकि सोनिया गांधी ने असम में हिंसा के बाद न केवल राज्य का दौरा किया बल्कि मुंबई हिंसा और पूर्वोत्तर के लोगों के पलायन पर काफी सक्रियता दिखाई। 
ऎसे में जब राहुल गांधी को अगले लोकसभा चुनाव में बतौर प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार पेश किया जा रहा है तो लोग उम्मीद कर रहे हैं कि देश के ज्वलंत मुद्दों पर वे अपनी राय स्पष्ट करें। हाल ही में राहुल गांधी ने कहा था कि वे बड़ी जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं। हालांकि उन्होंने यह खुलासा नहीं किया था कि यह बड़ी जिम्मेदारी क्या होगी? 
सदन के नेता की भूमिका निभा रही सोनिया
लोकसभा में सदन के नेता तो हैं सुशील कुमार शिंदे लेकिन उनकी भूमिका निभा रही है सोनिया गांधी। जब भी संसद में विपक्ष हमले करता है तो सोनिया गांधी आक्रामक अंदाज में जवाब देती है। हाल ही में जब भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने लोकसभा में यूपीए की सरकार को अवैध करार दिया था तब सोनिया गांधी ने आक्रामक रूख दिखाया था। सोनिया के आंखे तरेरने के बाद आडवाणी को अपना बयान वापस लेना पड़ा था। 
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कोल ब्लॉक्ट के आवंटन में कांग्रेस को मोटा माल मिलने की बात कही थी तो सोनिया ने पलटवार करते हुए कहा था कि ब्लैकमेलिंग ही भाजपा की रोजी रोटी है।

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