मंत्री ने भाई को दिलाई कोयला खान! 

नई दिल्ली। 
कोयला ब्लॉक्स आवंटन को लेकर आई सीएजी की रिपोर्ट के बाद केन्द्र की यूपीए सरकार बुरी तरह घिर गई है। मौजूदा कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल पर तो पहले ही रिश्तेदार को फायदा पहुंचाने के आरोप लग रहे थे अब केन्द्रीय पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय पर अपने भाई की कंपनी को कोयला खदान दिलवाने का आरोप लगा है।
एक निजी चैनल ने खुलासा किया है कि सुबोध कांत सहाय ने अपने भाई की कंपनी को कोयला खदान दिलवाई थी। यह खदान सहाय की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखे पत्र को कोयला मंत्रालय के पास भेजने के बाद आवंटित की गई थी। उधर सुबोध कांत सहाय ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि वह झारखण्ड से सांसद हैं। राज्य के विकास के लिए उन्होंने एसकेएस कंपनी को कोल ब्लॉक दिए जाने की सिफारिश की थी। 
पांच फरवरी 2008 को सहाय ने पत्र लिखकर कोयला ब्लॉक्स आवंटन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सीधे हस्तक्षेप करने को कहा था। सहाय ने एसकेएस इस्पात स्टील प्लांट्स के लिए झारखण्ड और छत्तीसगढ़ में कोयला खदान की मांग की थी। अगले ही दिन प्रधानमंत्री कार्यालय ने सहाय के पत्र को कोयला मंत्रालय को भेज दिया था। 7 फरवरी को स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हुई। इसमें एसकेएस की अर्जी पर विचार हुआ। इस बैठक में सहाय के भाई सुधीर सहाय बतौर एसकेएस निदेशक शामिल हुए थे। 
तीन महीने बाद सहाय के भाई की कंपनी को कोयला खदान आवंटित हो गई। कुछ महीने बाद एसकेएस की विरोधी कंपनी मामले को कोर्ट में ले गई। कंपनी ने दलील दी कि सुधीर सहाय एसकेएस के बोर्ड में थे। उन्होंने स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में कंपनी को ऎसे पेश किया कि कोल ब्लॉक्स किसको आवंटित होंगे। इस साल मई में दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि फतेहपुर कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर सहाय के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता। कोर्ट से सहाय को राहत मिली गई लेकिन अभी तक यह नहीं बताया गया है क्यों और कैसे विजय सेंट्रल में दूसरी खदान आवंटित की गई।

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