उपहारों को ले गई पूर्व राष्ट्रपति 
अमरावती।
पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने एक बार फिर विवाद को जन्म दिया है। इस बार वे उन्हें राष्ट्रपति के तौर पर मिले महंगे उपहारों को अपने गृहनगर अमरावती ले जाने के लिए चर्चा में हैं। संविधान विशेषज्ञों की नजर में यह परंपरा व नियमों के खिलाफ है।पाटिल को राष्ट्रपति रहते कथित रूप से 150 से अधिक उपहार मिले थे। इनमें अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का गोल्ड प्लेटिड लघु चित्र तथा अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबाम से मिला उपहार भी शामिल है। अब, प्रत्येक उपहार अमरावती भेजा जा रहा है जहां उन्हें पाटिल के परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट के विद्याभारती कॉलेज स्थित एक म्यूजियम में रखा जाएगा। राष्ट्रपति कार्यालय ने इस संबंध में ट्रस्ट के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। म्यूजियम में पाटिल के राजनीतिक सफर को दर्शाया जाएगा। यह म्यूजियम दिसंबर में खुलेगा तथा इसे देखने के लिए कॉलेज प्रबंधन शुल्क भी लगा सकता है।
एक न्यूज चैनल के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति के ओएसडी ने हालांकि स्पष्ट किया है कि 150 उपहार जो उन्हें बतौर राष्ट्रपति मिले थे उधार लिए गए हैं तथा राष्ट्रपति कार्यालय जब चाहे इन्हें वापिस ले सकता है। 
वहीं संविधान विशेषज्ञ इसे परंपरा के खिलाफ मानते हैं। संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के अनुसार राष्ट्रपति को मिले उपहार तोशाखाना में भेजे जाते हैं। यह उपहार देश व जनता की संपत्ति होते हैं। परंपरा के अनुसार राष्ट्रपति अपना कार्यकाल समाप्त होने पर इन्हें अपने साथ नहीं ले जाते। ऎसा पहली बार नहीं है कि राष्ट्रपति ने कोई विवाद खड़ा किया है। इससे पहले वे रिटायरमेंट के बाद पुणे में बननेवाले अपने घर के लिए रक्षा विभाग की जमीन पर कब्जा करने को लेकर विवादों में आई थीं। जनता के विरोध के बाद उन्होंने यह जमीन लौटा दी थी। अब उपहारों को ले जाने पर कई भवें तन गई हैं।

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