जिले के सभी सेंटरों पर लगे एक्टिव ट्रेकर 
बाडमेर 20 जुलाई।
कन्या भू्रण हत्या पर प्रभावी तरीके से रोक लगाने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों की पालना में जिले के सभी सोनोग्राफी सेंटरों पर एक्टिव टेकर लगाए जा चुके हैं। इसके साथ ही बाडमेर जिला राज्य का पहला जिला बन गया है जहां निजी सहभागिता से सभी टेकर सेंटरों पर लगाए गए हैं। वहीं सोनोग्राफी सेंटरों पर प्रभावी मोनिटरिंग के लिए एफ फार्म की ऑन लाईन एंट्रियां भी शुरू हो गई हैं। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के सामूहिक प्रयासों से उक्त कार्य निर्धारित तिथि से करीब एक पखवाड़े पहले पूर्ण कर लिया गया है। इस प्रकि्रया के बाद निश्चित ही भू्रण लिंग परीक्षण पर प्रभावी रोक लगाई जा सकेगी और वैद्यअवैद्य परीक्षणों पर प्रशासन की सीधी नजर रहेगी। जिला कलेक्टर एवं पीसीपीएनडीटी की जिला समुचित प्राधिकारी डॉ. वीणा प्रधान ने बताया कि जिले में संचालित पंजीकृत 16 सेंटरों पर गत एक पखवाड़े के अंतराल में एक्टिव टेकर लगवा दिए गए हैं। सभी टेकर अंतरराश्ट्रीय कंपनी केयर्न इंडिया के सहयोग से मैग्नम ओप्स कंसल्टिंग कम्पनी द्वारा लगवाए गए हैं। 
क्या होगा फायदा 
जिले में संचालित हो रही निजी व सरकारी सोनोग्राफी मशीनों पर एक्टिव टेकर लगने से मुख्यतः फायदा यह मिलेगा कि अब लिंग परीक्षण पर शतप्रतिशत रोक लगा पाना संभव हो सकेगा। उल्लेखनीय है कि कन्या भू्रण हत्या के मामले में लिंग परीक्षण ही मुख्य समस्या थी, क्योंकि संबंधित परिवार लिंग परीक्षण के बाद कन्या होने की स्थिति में महिला का गर्भपात करवा देते थे। यही नहीं अब सोनोग्राफी मशीन के साथ ही कोई तकनीशियन या डॉक्टर छेड़छाड़ नहीं कर सकेगा। इसके साथ ही अब लिंग जांच के मामलों में डाक्टरों और माता पिता को ट्रेस करना आसान हो जायेगा। यह सिस्टम लागू करने में राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है। 
जिला कलेक्टर ने दिए थे आदेश 
काबिलेगौर है जिला स्वास्थ्य भवन में 23 जून 2012 को स्वास्थ्य विभाग के पीसीपीएनडीटी प्रकोश्ठ की ओर से ऑन लाईन फार्म एफ तथा एक्टिव टेकर को लेकर प्रिशक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इस कार्यशाला में अध्यक्षता करते हुए जिला कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान ने कन्या भू्रण हत्या के मामले को गंभीरता से लेते हुए सख्त आदेश दिए थे कि एक माह के भीतर एक्टिव टेकर लगाया जाए। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि एक्टिव टेकर एक माह के भीतर नहीं लगाए गए तो संबंधित सेंटर का लाइसेंस निलंबित एवं निरस्त कर दिया जाएगा। 
यह फायदा होगा ट्रेकर से 
जिला कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान ने बताया कि एक्टिव ट्रेकर को लेकर पिछले दिनों उच्च न्यायालय ने आदेश जारी किए थे। इसके बाद संपूर्ण राज्य में स्थित करीब 1800 सोनोग्राफी सेंटरों पर एक्टिव टेकर लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। एक्टिव ट्रेकर एक ऐसा सिस्टम है, जिसके जरिए सोनोग्राफी मशीन में होने वाली हर गतिविधि को रिकार्ड रखा जा सकेगा। यही नहीं कोई भी संचालक इसमें छेड़छाड़ नहीं कर सकेगा, क्योंकि इसमें जीपीएस सिस्टम लगा हुआ है। जीपीएस सिस्टम के तहत प्राधिकारी का मोबाइल नम्बर फीड रहेगा और बंद या चालू होने की स्थिति में मैसेज के जरिए जानकारी प्राप्त होगी। मशीन खराब होने या अन्य गड़बड़ी की स्थिति में भी जीपीएस सिस्टम जानकारी संबंधित प्राधिकारी के पास पहुंचा देगा। एक्टिव ट्रेकर में सिर्फ एक तार से मशीन जोड़ी जा सकेगी। इसमें 1024 जीबी यानी एक टीबी स्पेस है, जिससे करीब दो वशर तक का रिकार्ड रहेगा। यही नहीं जीपीएस सिस्टम होने की वजह से अब कोई भी चिकित्सक सोनोग्राफी मशीन को एक जगह से दूसरी जगह नहीं ले जा पाएगा। 

एक एक्टिव ट्रेकर पर खर्च हुए करीब 25 हजार 
जिला प्रशासन एवं पीसीपीएनडीटी प्रकोश्ठ के साझे प्रयासों से केयर्न इंडिया द्वारा लगाए गए एक्टिव टेकर पर करीब 25 हजार रूपए खर्च किए गए हैं। सोनोग्राफी मशीन में एक्टिव ट्रेकर लगाने के लिए पुणे (महाराश्ट्र) की मैग्नम ओप्स कंसल्टिंग कम्पनी को कार्य दिया गया है। गौरतलब है कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 22 मई को राज्य सरकार ने प्रदेश में संचालित सभी सोनोग्राफी मशीनों में एक्टिव टेकर लगाने के लिए चार महीने का समय निर्धारित किया था। 

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